समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 21 जुलाई। प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन विनायक चतुर्थी का व्रत रखा जाता है. सावन अधिकमास का पहला विनायक चतुर्थी व्रत आज रखा जाएगा. हिंदी पंचांग के अनुसार सावन अधिकमास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 21 जुलाई को सुबह 6 बजकर 58 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 22 जुलाई को सुबह 9 बजकर 26 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार विनायक चतुर्थी का व्रत आज यानि 21 जुलाई, शुक्रवार को रखा जाएगा. इस दिन भगवान गणेश का पूजन किया जाता है और हिंदू धर्म में उन्हें प्रथम पूजनीय देवता का स्थान दिया गया है.
विनायक चतुर्थी व्रत के दिन व्रत रखने वाला जातक दिनभर फलाहार करता है और रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण करता है. इस व्रत में चंद्रमा का विशेष महत्व माना गया है और कहते हैं कि अगर किसी की कुंडली में बुध कमजोर है तो उसे भगवान गणेश और चंद्र देवता का पूजन अवश्य करना चाहिए.
विनायक चतुर्थी 2023 शुभ मुहूर्त
सावन माह की विनायक चतुर्थी को सावन विनायक चतुर्थी कहते हैं और इस दिन भगवान गणेश का विधि-विधान के साथ पूजन किया जाता है. इस बार विनायक चतुर्थी अधिकमास में पड़ रही है इसलिए इसे सावन अधिकमास विनायक चतुर्थी नाम दिया गया है. ध्यान रखें कि पूजन हमेशा शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिए. क्योंकि शुभ मुहूर्त में किया गया पूजन शुभ फल प्रदान करता है. आज पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 5 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 50 मिनट तक रहेगा. यानि पूजा के लिए दो घंटे 45 मिनट का समय मिलेगा.
हिंदू पंचांग के अनुसार विनायक चतुर्थी के दिन रवि योग बन रहा है जो कि दोपहर 1 बजकर 58 मिनट से लेकर अगले दिन 22 जुलाई को सुबह 5 बजकर 37 मिनट तक रहेगा. इसे बेहद ही शुभ योग माना जाता है. यदि आप शुभ मुहूर्त में पूजा न कर पाएं तो रवि योग में भी पूजा की जा सकती है.
विनायक चतुर्थी के दिन भद्रा का साया
पंचांग के अनुसार विनायक चतुर्थी के दिन भद्रा का भी साया रहेगा. जो कि 21 जुलाई को रात 8 बजकर 12 मिनट पर लगेगी और अगले दिन 22 जुलाई को सुबह 5 बजकर 37 मिनट तक रहेगी. लेकिन पूजा सुबह के समय की जाती है और इसलिए भद्रा काल का पूजा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
विनायक चतुर्थी 2023 चंद्रोदय का समय
विनायक चतुर्थी के दिन गणपति का पूजन किया जाता है और कहते हैं कि जिस व्यक्ति पर भगवान गणेश की कृपा होती है उसके सभी कार्य सफल होते हैं. इस दिन व्रत रखने के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देने पर ही व्रत खोला जाता है. 21 जुलाई को चंद्रोदय का समय रात 9 बजकर 45 मिनट है.