लगभग 700 सालों से सैकड़ों बार व्यास के प्रचंड वेग को सहता हुआ सीना ताने खड़ा है पंचवक्त्र महादेव मंदिर

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 12जुलाई। आधुनिकता, नई टेक्नोलोजी और साइंस के बडे चोचले से बने पुल, बांध, रोड सब टूट कर व्यास मे समा गए,

परंतु यह #मंदिर लगभग 700 सालों से
सैकड़ों बार व्यास के प्रचंड वेग को सहता
हुआ इतिहास सीना ताने खड़ा है।

जिस तरह काशी गंगा के किनारे बसा है, ठीक उसी तरह मंडी व्यास नदी के तट पर बसा है।

आपको याद ही होगा, दस साल पहले जब मंदाकिनी ने रौद्र रूप धारण किया था, तब केदारनाथ मंदिर और नदी की धारा के बीच एक शिला आ गई थी और मंदिर बिल्कुल सुरक्षित था, वहीं अब हिमाचल में सैलाब के बीच एक बार फिर से से चमत्कार होता नजर आ रहा है. जहां एक ओर पुल, पहाड़ और बड़े-बड़े मकान धराशाई हो गए, वहीं पंचवक्त्र महादेव का मंदिर बिल्कुल स्थिर खड़ा है. जिसे देख हर कोई कह रहा है कि महादेव की कृपा है.

भगवान शिव को समर्पित यह अद्भुत स्थल सुकेती और ब्यास नदियों के संगम पर स्थित है। पंचवक्त्र महादेव मंदिर एक अत्यंत ही प्राचीन धार्मिक स्थल है। इसका निर्माण राजा अजबर सेन ने 16वीं सदी के पूर्वार्द्ध में करवाया था।

मंदिर एक विशाल मंच पर खड़ा है और बहुत अच्छी तरह से सुसज्जित है। यह भूतनाथ और त्रिलोकीनाथ मंदिरों जैसा बनाया गया शिखराकार भव्य मंदिर है। मंदिर की छत बनाने में उत्तम किस्म का पत्थर प्रयुक्त किया गया है। मंदिर विशिष्ट शिखर वास्तुकला शैली में बनाया गया है, जो आश्चर्यजनक है।

मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव की विशाल पंचमुखी प्रतिमा स्थापित है। भगवान शिव की एक बहुत बड़ी मूर्ति है जिसके पाँच मुख हैं जो भगवान शिव के विभिन्न रूपों अघोरा, ईशान, तत्पुरुष, वामदेव और रुद्र को दर्शाते हैं।

मंदिर का दरवाजा व्यास नदी की ओर है। दोनों ओर द्वारपाल हैं। मंदिर में कई स्थानों पर सांप की आकृतियां स्थित हैं। नंदी की मूर्ति भी भव्य है, जिसका मुख गर्भगृह की ओर है। पंचवक्त्र महादेव मंदिर संरक्षित स्मारकों में से एक है, जो भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अंतर्गत आता है और इसे राष्ट्रीय स्थल घोषित किया गया है।

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