समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली ,20 फरवरी।हिंदू धर्म में फुलेरा दूज का विशेष महत्व है और इस दिन से ही रंगों के त्योहार होली की शुरुआत हो जाती है. फुलेरा दूज हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन मनाया जाता है. और इस बार यह तिथि 21 फरवरी को पड़ रही है. जिसका मतलब है कि 21 फरवरी को फुलेरा दूज का पर्व मनाया जाएगा. यह दिन भगवान श्रीकृष्ण और मां राधा रानी को समर्पित है. इस दिन विधि-विधान के साथ इनका पूजन किया जाता है. कहते हैं कि फुलेरा दूज के दिन राधा-कृष्ण की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
फुलेरा दूज पर ऐसे करें पूजा
सबसे पहले बता दें कि फुलेरा दूज की पूजा गोधूलि बेला में की जाती है. इसलिए पूजा से पहले शाम के समय स्नान आदि कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और भगवान कृष्ण व मां राधा को नए वस्त्र पहनाकर तैयार करें. इसके बाद उन्हें फूलों की माला पहनाएं और गुलाल लगाएं. इस दिन राधा-कृष्ण को गुलाल लगान शुभ माना जाता है. फिर मिश्री व सफेद मिठाई का भोग लगाएं.
फुलेरा दूज की कहानी
पौराणिक कथा के अनुसार, व्यस्तता के कारण भगवान श्रीकृष्ण कई दिनों से राधा जी से मिलने वृंदावन नहीं आ रहे थे. राधा के दुखी होने पर गोपियां भी श्रीकृष्ण से रूठ गई थीं. राधा के उदास होने के कारण मथुरा के वन सूखने लगे और पुष्प मुरझा गए. वनों की स्थिति के बारे में जब श्रीकृष्ण को पता चला तो वह राधा से मिलने वृंदावन पहुंचे. श्रीकृष्ण के आने से राधा रानी खुश हो गईं और चारों ओर फिर से हरियाली छा गई. कृष्ण ने खिल रहे पुष्प को तोड़ लिया और राधा को छेड़ने के लिए उन पर फेंक दिया. राधा ने भी ऐसा ही श्रीकृष्ण के साथ किया. यह देखकर वहां पर मौजूद गोपियों और ग्वालों ने भी एक-दूसरे पर फूल बरसाने शुरू कर दिए. कहते है कि तभी से हर साल मथुरा में फूलों की होली खेली जाने लगी.