विदेशमंत्री डॉ एस जयशंकर और फिजी के राष्‍ट्रपति ने नादी में विश्‍व हिन्‍दी सम्‍मेलन का उद्घाटन किया

"औपनिवेशिक काल में तिरस्‍कृत कई भाषाएं और परंपराएं फिर से वैश्विक मंच पर अपनी आवाज उठा रही हैं":डॉ एस जयशंकर

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 15 फरवरी।फिजी के राष्ट्रपति विलियम काटोनिवेरे और विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने फिजी के नादी में विश्व हिंदी सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर श्री काटोनिवेरे ने कहा कि यह सम्‍मेलन भारत के साथ फिजी के ऐतिहासिक और विशेष संबंधों को प्रस्‍तुत करने का अनूठा अवसर है।

डॉ. जयशंकर ने कहा कि प्रगति और आधुनिकता की तुलना पश्चिमीकरण से करने का समय बीत चुका है। उन्होंने कहा कि औपनिवेशिक काल में तिरस्‍कृत कई भाषाएं और परंपराएं फिर से वैश्विक मंच पर अपनी आवाज उठा रही हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि ऐसे समय में यह जरूरी है कि विश्‍व सभी संस्कृतियों और समाज से परिचित हो। उन्होंने कहा कि विश्व हिंदी सम्मेलन जैसे आयोजनों से यह स्वाभाविक है कि हिंदी भाषा के विभिन्न पहलुओं, इसके वैश्विक उपयोग और इसके प्रसार पर ध्यान दिया जाना चाहिए। डॉ. जयशंकर ने कहा कि सम्‍मेलन में फिजी, प्रशांत क्षेत्र और अन्‍य देशों में हिंदी की स्थिति के मुददे पर चर्चा होगी।

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा और केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने भी उद्घाटन समारोह को संबोधित किया। इस दौरान स्मारक डाक टिकट और हिंदी की छह पुस्तकों का विमोचन किया गया। भारत सरकार और फिजी इस सम्मेलन की सह-मेजबानी कर रहे हैं।

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