गुस्ताखी माफ़ हरियाणा।
पवन कुमार बंसल।
अजित बालाजी जोशी और मेरे साँझा मित्रो की सलाह – बंसल साहिब आप उनके पॉजिटिव पक्ष को भी देखो।
आपको सावन के अंधे को हरे की तरह उनके हर काम में कमी लगती है।
फिर तर्क दिया की उन्होंने हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण को करीब पंद्रह हज़ार करोड़ के कर्ज से बचा लिया।
मेने उन्हें इस पर विचार करने को कहा और कुछ समय माँगा क्योंकि डिजिटल की तरह में कोई फैसला जल्दबाजी में नहीं लेता क्योंकि शहरी विकास प्राधिकरण में जल्दबाजी और डिजिटल की आड़ में ही सब कुछ हो रहा है।
मुझे भी एक बार शक हुआ की कही में बालाजी के प्रति प्रूवाग्रह से ग्रसित तो नहीं हूँ। उनमे कोई तो खासियत है जो मनोहर लाल उनके इतने कायल है की उन्हें पंजाब जाने ही नहीं दे रहे और कह रहे है की न जाओं सैया – छुड़ा के बहिया के दिल अभी भरा नहीं। उन्हें तो पद्मश्री मिलना चाहिए और हार्डवर्ड यूनिवर्सिटी में उनका लेक्चर होना चाहिए।
फिर मुझे अपने पुराने कागच देखते हुए बालाजी के पूरर्वर्ती जे गणेशन का एक फैसला दिखा जिसमे उन्हें लिखा।
‘ महकमे की प्रॉपर्टी ऑकशन करना महकमे के लिए पैसा अर्जित करने का मेकनिज़म है। प्रॉपर्टी की बोली बार-बार लगाई जाये ताकि ज्यादा बोलीदाता आये और महकमे को ज्यादा रेवेन्यू मिले।
प्रॉपर्टी ऑक्शन का काम तो बालाजी से पहले एक और अफसर ने भी किया था लेकिन उसका काम पोलिटिकल नेत्र्तव को पसंद नहीं आया और इसलिए बालाजी को लाया गया।
बालाजी तो आनन- फानन में प्रॉपर्टी बेच रहे है जिनके इतने किस्से है की पूरी किताब लिखी जा सकती है। करीब एक दर्जन तो ‘गुस्ताखी माफ़ हरियाणा ‘
उठा चूका है।
मसलन गुरुग्राम में एक ही दिन में पांच- पांच एकड़ के दो प्लाट मैक्स हेल्थ को कौड़ियों के भाव।
परदर्शिता के युग में सुचना के अधिकार के तहत यह सूचना देने से भी मना करना की ऑक्शन की जा रही प्रॉपर्टी का बेस प्राइस करने का फार्मूला क्या है ?
अब में बालाजी और अपने साँझा मित्रो को अपने तर्क देकर पूछुंगा की अब उन्हें क्या कहना है ?