
ख़ुद ही जब अपनी जड़ों को, खोद रहा है ये इंसान
ख़ुद ही जब अपनी जड़ों को, खोद रहा है ये इंसान
……. कैसे बचेगी इसकी जान
बर्फ़ कहीं सूखा है कहीं, बाढ़ कहीं पर है तूफ़ान
……. कैसे बचेगी इसकी जान
क़ुदरत का सीना छलनी करके बनता है अनजान
…….. कैसे बचेगी इसकी जान
एक महामारी से ही देखो संकट में है प्राण
…… कैसे बचेगी इसकी जान
जोड़े फिर क़ुदरत से जो
ऐसा जब होगा विज्ञान
…… तब ही बचेगी इसकी जान
वेदों के पावन धरती से निकलेगा पावन ज्ञान
….. जिस से होगा जन कल्याण
मेरा भारत देश महान
ऐसे बढ़ेगी इस की शान
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कपिल कुमार
बेल्जियम