गुस्ताखी माफ़ हरियाणा: गुल की आड़ में शाख – शाख पर बैठा एक शिकारी है

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गुस्ताखी माफ़ हरियाणा: गुल की आड़ में शाख – शाख पर बैठा एक शिकारी है

पवन कुमार बंसल।

खुर्शीद भाई का दस वर्ष पूर्व गाया कलाम – आज के संदर्भ में दिल को छू गया।

उसको माली कैसे कह दू जिसने गुलशन बेच दिया ,

गुल की आड़ में शाख – शाख पर बैठा एक शिकारी है।

गुलशन के आज़ाद परिंदे -पर से पहले आंखे खोल,

गुल की आड़ में शाख -शाख पर बैठा एक शिकारी है।।

करतब का नाकाम मदारी -कुछ ओछे हथियार लिए,

बारी – बारी देख रहा है किसमे कितना पानी है ?

मसलन एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट, सी बी आई वगैरा -वगेरा।

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