झारखंड हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला, विवाहिता अगर किसी पुरुष से सहमति के आधार पर सेक्सुअल रिलेशन बनाए तो यह रेप का केस नहीं

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 10दिंसबर। झारखंड हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि अगर कोई विवाहिता अपने पति के अलावा किसी अन्य पुरुष के साथ सहमति के आधार पर सेक्सुअल रिलेशनशिप बनाती है तो बाद में वह उसपर रेप का केस नहीं कर सकती. कोर्ट ने कहा कि विवाहिता किसी व्यक्ति द्वारा किए गए शादी के वादे पर भरोसा कर उसके साथ संबंध बनाने के बाद वह इसे सेक्सुअल एक्सप्लोइटेशन का मामला कैसे बता सकती है?

जस्टिस एसके द्विवेदी की कोर्ट ने मनीष कुमार नामक एक शख्स की याचिका पर सुनवाई करते यह आदेश पारित किया और उसके खिलाफ निचली अदालत की ओर से लिए गए संज्ञान को रद्द कर दिया.

विवाहिता महिला की मां ने देवघर जिला कोर्ट में मनीष कुमार के खिलाफ शिकायत वाद दायर किया था. इसमें कहा गया था देवघर में श्रावणी मेले के दौरान उसकी पुत्री का मनीष कुमार के साथ संपर्क हुआ था. महिला के मुताबिक वह शादीशुदा है और उसके पति के साथ तलाक का मामला चल रहा है.

मनीष ने उससे इस वादे के साथ उसकी सहमति से यौन संबंध बनाए कि तलाक होने के बाद वह उससे शादी कर लेगा और बाद में मनीष ने महिला से शादी करने से इंकार कर दिया.

महिला की मां ने इसे धोखाधड़ी से दुष्कर्म का मामला बताते हुए जो शिकायत दर्ज कराया था, उसके आधार पर देवघर जिला कोर्ट ने संज्ञान भी लिया था. इस फैसले के खिलाफ मनीष ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर मामले को निरस्त करने का आग्रह किया था. अब हाईकोर्ट ने इस याचिका पर आदेश पारित करते हुए मामले को देवघर कोर्ट को वापस आगे की कार्रवाई के लिए भेज दिया है.

कोर्ट का कहना है कि शादीशुदा महिला अगर अपनी मर्जी से अपने पति के अलावा किसी अन्य पुरुष से शारीरिक संबंध बनाती है तो यह रेप का केस नहीं हो सकता है.

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