सरकार ने आज लोकसभा में पेश किए चार संविधान संशोधन विधेयक, चार राज्यों की नई जातियों को मिलेगा एसटी का दर्जा
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 9दिसंबर। सरकार ने आज लोकसभा में चार संविधान संशोधन विधेयक पेश किए। दो विधेयक तमिलनाडु और कर्नाटक में अनुसूचित जनजातियों की सूची में संशोधन से संबंधित हैं और दो हिमाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजातियों की सूची में कुछ समुदायों को शामिल करने से संबंधित हैं। केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (दूसरा, तीसरा, चौथा और पांचवां संशोधन) विधेयक 2022 पेश किया।
जनजातीय मामलों के केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुण्डा ने तमिलनाडु के बारे में संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (दूसरा संशोधन) विधेयक 2022, हिमाचल प्रदेश के बारे में संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (तीसरा संशोधन) विधेयक 2022, कर्नाटक के बारे में संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (चौथा संशोधन) विधेयक 2022 तथा छत्तीसगढ़ के बारे में संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (पांचवां संशोधन) विधेयक 2022 पेश किया।
राष्ट्रीय लोक दल ने उत्तर प्रकहेदेश के लखीमपुर खीरी में पिछले वर्ष प्रदर्शन के दौरान वाहन से कुचलने से मृत और घायल किसानों के लिए राज्य सरकार द्वारा घोषित मुआवजा दिये जाने की मांग करते हुये आज कहा कि अब तक पीड़ितों को मुआवजा नहीं मिला है। राष्ट्रीय लोक दल के जयंत चौधरी ने शुक्रवार को राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुये कहा कि इस संबंंध में अभी कुछ दिनों पहले राज्य विधानसभा में उनके दल के सदस्य ने सवाल पूछा था जिस पर मुख्यमंत्री ने अब तक मुआवजा नहीं दिये जाने की बात कही थी।
उन्होंने कहा कि इस घटना में घायल लोगों को 10-10 लाख रुपये और मृत व्यक्ति के एक परिजन को नौकरी देने की घोषणा की गयी थी लेकिन एक वर्ष से अधिक समय बीतने के बावजूद पीड़ितों को मुआवजा नहीं मिला है। इसलिये केन्द्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार उत्तर प्रदेश की अपनी ही पार्टी की सरकार को मुआवजा देने के लिए कहे।
आम आदमी पार्टी ने शुक्रवार को सरकार से पाकिस्तान स्थित करतारपुर गुरूद्वारा जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए 20 डॉलर के शुल्क को माफ करने और पासपोर्ट के स्थान पर आधार जैसे किसी पहचान पत्र को मान्यता देने के लिए पाकिस्तान से बात करने की अपील की है। आम आदमी पार्टी (आप) के राघव चड्डा ने आज राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुये कहा कि देश के सिख समुदाय करतारपुर साहिब में मथ्था टेकना चाहता है लेकिन कई तरह की अनिवार्यता के कारण वे चाहकर भी अपने पवित्र गुरूद्वारा में मथ्था नहीं टेक पाते हैं। उन्होंने कहा कि करतारपुर जाने के लिए 20 डॉलर का शुल्क देना होता है।
इसलिए सरकार से गुजारिश है कि वह इस शुल्क को माफ कर दे ताकि सिख समुदाय से हर कोई करतापुर साहिब जा सके। इसके साथ ही करतारपुर जाने के लिए पासपोर्ट की अनिवार्यता को समाप्त करने के लिए भारत सरकार को पाकिस्तान से बात करनी चाहिए और पासपोर्ट के स्थान पर आधार जैसे पहचान पत्र को मान्यता दी जानी चाहिए। उन्होंने करतारपुर साहिब जाने के लिए ऑनलाइन पंजीयन की व्यवस्था में भी राहत देने की अपील करते हुये कहा कि बहुत से लोग हैं जो ऑनलाइन पंजीयन नहीं कर पाते हैं और इसके कारण वे इस पवित्र स्थल को दर्शन नहीं कर पा रहे हैं।