समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 2दिसंबर। हिंदू धर्म में सोम प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है और इस दिन भगवान शिव और उनके परिवार का पूजन होता है. प्रदोष व्रत का मतलब है कि इस दिन शाम के समय पूजन किया जाता है और लोग भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए व्रत करते हैं. सोम प्रदोष व्रत करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में आ रहे दुखों से छुटकारा मिलता है.
हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन सोम प्रदोष व्रत रखा जाता है. मार्गशीर्ष माह की त्रयोदशी तिथि 5 दिसंबर 2022 को है और इस दिन सोम प्रदोष व्रत रखा जाएगा. पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 5 दिसंबर को सुबह 5 बजकर 47 मिनट पर शुरू होगा और अगले दिन 6 दिसंबर को सुबह 6 बजकर 47 मिनट तक रहेगा. लेकिन ध्यान रखें कि सोम प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है और इसलिए शाम के समय पूजा करना अधिक शुभदायी होता है.
सोम प्रदोष व्रत पूजन विधि
सोम प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद हाथ में जल लेकर व्रत कर संकल्प लें. इसके बाद मंदिर को स्वच्छ कर गंगाजल छिड़कें. फिर भगवान शिव का पूजन करें और पूजन सामग्री में बेलपत्र, अक्षत, धूपबत्ती शामिल करें. भगवान शिव को चंदन का तिलक लगाएं और माता पार्वती को सिंदूर का तिलक लगाएं. फिर सूर्यास्त के बाद शाम के समय शिव के समक्ष घी का दीपक जलाएं और ऊं नमः शिवाय मंत्र का जाप करें. इसके बाद सोम प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें और सुनें. क्योंकि बिना कथा के व्रत अधूरा माना जाता है.