गुस्ताखी माफ़ हरियाणा।

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गुस्ताखी माफ़ हरियाणा।
पवन कुमार बंसल।
सारंगी वादक मामन खान ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के सांगी धनपत सिंह की सुध भी नहीं ले रही मनोहर सरकार।
उनके पैतृक रोहतक जिले के निंदाना गांव के बाहर सरकार की तरफ से लगाए गए गौरव पट में उनका नाम नहीं है।
गूगल पर जाओ, पता चलेगा की वो कितने महान सांगी थे। पर शायद वे कुचले और उपेक्षित समाज से थे इसलिए सरकार भी उनकी उपेक्षा
कर रही है।
मनोहर के गुण गान करने वाले लोक सम्पर्क महकमे के अदना कर्मचारी गजेंद्र फोगाट को तो मनोहर ने अपना ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी लगा दिया।
मनोहर लाल भी निंदाना गांव के है।
स्कूलों के लिए चंदा इकट्ठा करने के लिए सांग करते थे धनपत सिंह। कला के इतने पारंगी की दोनों होठों के बीच माचिस की तीली डालकर भी गा

लेते थे।
जीभ पकड़ कर भी गा लेते थे। उनका सांग लीलो चमन पुरे विश्व में महशूर हुआ। उस पर फिल्म भी बनी जिसकी चर्चा फिर करेंगे। सुना है गांव में उनका स्टेटु लगाने के लिए मनोहर लाल ने एक लाख रुपया दिया है। अगर गौरव पट पर नाम लिख देते तो क्या फर्क पड़ जाता?
उन्होंने बावन सांग लिखे और गाये। लोगो ने बहुत मान सम्मान दिया। भले वक्त में उनके पास अम्बस्सडोर कार थी। लेकिन जब गांव आते तो कार बाहर खड़ी
करके अलख जगाते और झोली में भीख मांगते आते थे। उन्होंने राजा महाराजा के गुणगान करने की बजाये जाट जमींदार के लिएभी सांग बनाया।
उनका सांग सदा नाम साई का बाकि तो कोई आज मरा कोई कल मर गया। बाली और रावण नहीं रहे। छह जमात पड़ने के बाद उन्होंने बयालीस वर्ष तक गाने गाए.उनकी याद में आज भी पाकिस्तान में धनपत सांगी के नाम से सांग मण्डली है। सांग शुरू करने से पहले कहते कि दानियों की जरूरत है। स्कूल के लिए दान दो।

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