गुस्ताखी माफ़ हरियाणा।
पवन कुमार बंसल।
मान बंड़ाई नानका तजना बहुत कठिन -अगर खुद को महिमामंडन करने का आरोप न लगे।
पवन कुमार बंसल, लेखक, कवि पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता।, 19७२ में राजकीय महाविद्यालय जींद के निर्वाचित कक्षा प्रतिनिधि थे। बेस्ट स्पीकर और नेशनल सर्विस स्कीम के कैडेट का कॉलेज कलर मिला।
१९७७ में राजकीय महाविधालय जींद के छात्र रहते’ इंडियन एक्सप्रेस” अख़बार के रिपोर्टर बने। ७७ से ८७ जींद से पत्रकारिता की। इस दौरान टाइम्स ऑफ़ इंडिया,ब्लिट्ज , सन वीकली ,पंजाब केसरी एवं भू -भारती पत्रिका में लेखन किया।
१९८० में नरवाना जहरीली शराब कांड जिसमे पचास लोग मर गए थे तथा सेंकडो अंधे हो गए थे में पुलिस , आबकारी विभाग और नेताओ की मिलीभगत का भंडाफोड़ किया । इंडियन एक्सप्रेस अख़बार में छपी मेरी खबर को तथा जहरीली शराब की एक बोतल को सांसद मनीराम बागड़ी ने संसद में पेश किया और शराब ठेकेदार की मदद करने वाले नरवाना के डी एस पी सीता राम शर्मा मुअत्तल हुए और आबकारी मंत्री बलवंत राय तायल को इस्तीफा देना पड़ा।
८७ में चंडीगढ़ में जनसत्ता में नियुक्त हुए और सरकारी रिकॉर्ड के आधार पर काफी घोटालो का पर्दाफाश किया।तब सूचना का अधिकार सपने में भी नहीं
था। अग्रिम सूचना मिलने से मीसा, नेशनल सिक्योरिटी एक्ट , प्रिविलेज मोशन और पुलिस को बगावत के लिए उकसाने के आरोप में मुकदमा दर्ज होने से बचा। चार दशक पहले भिवानी के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक मोहिंदर मालिक द्वारा मानहानि के दायर मुकदमे में इंडियन एक्सप्रेस अख़बार के सम्पादक बी जी वर्गीज दिल्ली से पेशी के; लिए भिवानी आये और कहा की पवन ने ठीक लिखा है।
९० में रोहतक तबादला और ९७ में चर्चित गेहू घोटाले का पर्दाफाश किया और जनसत्ता में छपी खबर को ही ऍफ़ आई आर में तबदील किया गया और पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट ने सी बी आई जाँच का आदेश दिया।
हरियाणा की राजनीती , संस्कृति पर दो किताबे हरयाणा के” लालो के सबरंगे किस्से” और” गुस्ताखी माफ़ हरियाणा लिखी जिसकी प्रशंशा कुलदीप नायर ,प्रभाष जोशी खुशवंत सिंह कपिल देव और न्यायमूर्ति पी बी सावंत ने की।
खोजी पत्रकारिता क्यों और कैसे किताब लिखी? किताब की समीक्षा में “दैनिक ट्रिब्यून ” ने लिखा की खोजी पत्रकारिता की जो जानकारी सीधी और सपाट शैली में इस किताब में सिखाई गयी है वो शायद देश के किसी भी पत्रकारिता के विश्विधालय में नहीं पढ़ाई जाती। २००९ में तिलयार पर्यटन केंद्र रोहतक पर किताब का विमोचन करते हुए श्री प्रभाष जोशी ने कहा की इस किताब की फोटोकॉपी करवाकर लाकर में रख लेना क्योंकि आने वाले समय में बंसल जैसे पत्रकार केवल ज़ू में ही मिलेंगे।
कविता लेखन का शोक:
सामाजिक कर्यकर्ता के रूप में वीमेन एम्पावरमेंट के लिए संगठन कन्याकवच बनाया और गुड गवर्नेंस के लिए सिटीजन्स फॉर रिस्पांसिबिलिटी एकाउंटेबिलिटी एंड ट्रांस्परेन्सी संगठन बनाया। लोकायुक्त को ज्यादा पावर देने के लिए अभियान चलाया।
चर्चित सीरियल” न आना इस देश लाडो में” जाट समुदाय को बदनाम करने के खिलाफ अभियान चलाया और सीरियल को संशोधन करना पड़ा।
इन दिनों गुस्ताखी माफ़ हरियाणा ब्लॉग के फाउंडर एडिटर है जिसके पुरे विश्व में पचास हज़ार पाठक है। कई यूनिवर्सिटी में पत्रकारिता के छात्रों
को खोजी पत्रकारिता क्यों और कैसे के नुस्खे बताते है।प्रभावशाली लोगो ने नुकसान पहुंचाने की कोशिश की लेकिन बकौल शायर ” मार ही देते वो तो जालिम अब तक -हम तो जिन्दा है और जिन्दा रहने का हुनर जानते है। वो हुनर भगवान में अटूट विश्वास और जब आप जनहित में खबर लिखते हो तो आपके हज़ारो शुभचिंतक बन जाते है। डॉक्टर अपने इलाज की फीस नहीं लेते ,होटल वाले किराया नहीं लेते। महंगी शराब पीने की आदत नहीं। हां कभी -कभी बियर पी लेता हूँ। उसके लिए दोस्तों का अग्रिम निमत्रण मिलता रहता है।
“:इनसाइड स्टोरी ऑफ़ हरियाणा पुलिस “,मर्की पॉलिटक्स ऑफ़ हरियाणा ” और ” खाकी के सबरंगे किस्से ‘ लिख रहे है।
भगवान में अटल विश्वास है। इसलिए भगवान , माता -पिता ,गुरुजन और अपने पाठकों के अलावा किसी की परवाह नहीं करता।
नोट। –यह लिखने का यह उद्देश्य नहीं है की कोई यूनिवर्सिटी मुझे पत्रकारिता के डॉक्टरेट की मानद उपाधि दे दे।उसके अलग पैमाने होते है ,जिनमे अपन फिट नहीं बैठते। अपने लिए तो पाठकों का प्यार ही डिग्री है।