हर तीसरे दिन हो रही एक रेलकर्मी छटनी, जानें क्या है मामला

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 24नवंबर। रेलवे ने बीते 16 महीने में हर तीन दिन में से एक “निकम्मे या भ्रष्ट अधिकारी” को बर्खास्त किया है. इसके अलावा 139 अधिकारियों पर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए दबाव डाला जा रहा है जबकि 38 को हटा दिया गया है. सूत्रों ने इसकी जानकारी दी और बताया कि बुधवार को वरिष्ठ स्तर के दो अधिकारियों को नौकरी से निकाल दिया गया है. इनमें से एक को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने हैदराबाद में पांच लाख रुपये की रिश्वत के साथ जबकि दूसरे को रांची में 3 लाख रुपये के साथ पकड़ा था.

एक अधिकारी ने कहा, “(रेलवे) मंत्री (अश्विनी वैष्णव) ‘काम करो नहीं तो हटो’ के अपने संदेश के बारे में बहुत स्पष्ट हैं. हमने जुलाई 2021 से हर तीन दिन में रेलवे के एक भ्रष्ट अधिकारी को बाहर किया है.”

रेलवे ने कार्मिक और प्रशिक्षण सेवा नियमों के नियम 56 (जे) का आह्वान किया है जो कहता है कि एक सरकारी कर्मचारी को कम से कम तीन महीने का नोटिस या समान अवधि के लिए भुगतान करने के बाद सेवानिवृत्त या बर्खास्त किया जा सकता है.यह कदम काम नहीं करने वालों को बाहर निकालने के केंद्र के प्रयासों का हिस्सा है.

बता दें कि रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने, जुलाई 2021 में रेल मंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद, अधिकारियों को बार-बार चेतावनी दी है कि अगर वे प्रदर्शन नहीं करते हैं तो “वीआरएस लें और घर बैठें.”

रेलवे का वीआरएस नियम

जिन लोगों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के लिए मजबूर किया गया या बर्खास्त किया गया उनमें इलेक्ट्रिकल और सिग्नलिंग, चिकित्सा और सिविल सेवाओं के अधिकारी और स्टोर, यातायात और यांत्रिक विभागों के कर्मचारी शामिल हैं.

स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) के तहत, एक कर्मचारी को सेवा के प्रत्येक वर्ष के लिए दो महीने के वेतन के बराबर वेतन दिया जाता है. लेकिन अनिवार्य सेवानिवृत्ति में समान लाभ उपलब्ध नहीं हैं.

मौलिक नियमों और सीसीएस (पेंशन) नियम, 1972 में समयपूर्व सेवानिवृत्ति से संबंधित प्रावधानों के तहत उपयुक्त प्राधिकारी को एफआर 56 (जे), एफआर 56 (एल) या नियम 48 (1) के तहत सरकारी कर्मचारी को सेवानिवृत्त करने का पूर्ण अधिकार है। )(बी) सीसीएस (पेंशन) नियमावली, 1972, जैसा भी मामला हो, यदि जनहित में ऐसा करना आवश्यक हो.

हालांकि, निकाले गए 139 में से कई अधिकारी ऐसे हैं जिन्होंने पदोन्नति से वंचित होने या छुट्टी पर भेजे जाने पर अपना इस्तीफा दे दिया और वीआरएस का विकल्प चुनने का फैसला किया. अधिकारियों ने कहा कि ऐसे भी मामले हैं जहां उन्हें सेवानिवृत्ति का विकल्प चुनने के लिए मजबूर करने के लिए परिस्थितियां बनाई गईं.

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