बोल बोल रानी, कित्ता कित्ता पानी, ताँबे के बर्तन में इत्ता इत्ता पानी….

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हरिओम विश्वकर्मा।
एक दौर था जब पीने का ताँबे की गुंडियों, वेसल्स और लोटों में रखा जाता था। गाँव देहात में ये प्रचलन आज भी कहीं ना कहीं देखने में आ ही जाता है लेकिन बीते कुछ दशकों में हमने ताँबे को भूलना शुरू कर दिया। मेरे ननिहाल में ताबें की बहुत बड़ी गुंड (मटके के आकार का बर्तन) में पीने का पानी रखा जाता था। नानाजी हमेशा कहते थे कि ये पानी जितना बासा होगा, उतना सेहत के लिए बेहतर होगा। अक्सर इस तरह के बर्तन में पानी 3-4 दिनों तक रखा जाता था और उसी को पिया जाता था। कई बार बुजुर्गों से कहता सुना हूँ कि ताँबे के बर्तन में रखा पानी हार्ट के लिए, किडनी के लिए, आंखों के लिए बेस्ट होता है, एन्टी एजिंग इफ़ेक्ट भी हैं। कहते हैं पीने के पानी की अच्छी खासी सफाई भी हो जाती है जब इसे ताँबे के बर्तन में रखा जाए। खैर, भारत देश जानकारियों का भंडार है और हर दूसरे आदमी के पास देने के लिए ज्ञान का पिटारा हमेशा तैयार रहता है। अब सवाल ये उठता है कि क्या वाकई इतना कारगर है ताँबे का पानी?

मैंने थोड़ी बहुत खोज खंगाल किया और कोशिश किया कि पता किया जाए कि क्या वाकई ताँबे का पानी हार्ट, किडनी और आंखों के लिए खास है? मुझे कोई रिसर्च इसपर दिखाई नहीं दी। जहाँ आकर मेरी आँखें टिकी, वो था ‘ओलिगोडायनामिक इफ़ेक्ट♥️’…लम्बे समय तक ताँबे के बर्तन में पानी को रखा जाए तो इस इफ़ेक्ट की वजह से कॉपर आयन्स पानी में उतर आते हैं। कॉपर आयन्स पानी के सूक्ष्मजीवों खासतौर से बैक्टीरिया को मार गिराने में सक्षम हैं। इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेदा एन्ड इंटेग्रेटिव मेडिसिन (FRLHT, बेंगलुरु का संस्थान) के वैज्ञानिकों (प्रीति सुधा और अन्य) ने बाकायदा एक स्टडी को सन 2012 में जर्नल ऑफ हेल्थ न्यूट्रिशन एंड पापुलेशन में प्रकाशित किया। इस स्टडी में पाया गया कि तांबे के बर्तन में 16 घंटों तक पानी रखने से डायरिया के लिए जिम्मेवार बैक्टीरिया जैसे विब्रियो कोलॅरी, शिजेला फ्लेक्सनेरी, ई. कोलाई, साल्मोनेला एंटेरिका टायफी, साल्मोनेला पैराटायफी मारे जाते हैं। एक और रोचक स्टडी का जिक्र करना चाहेंगे, वैज्ञानिक रीति शरण और उनके साथियों ने एक लैब स्टडी के जरिये सन 2011 में जर्नल ‘बीएमसी जर्नल ऑफ इन्फेक्शस डिसीज’ में बताया था कि कम से कम 24 घंटों तक ताँबे के बर्तन में पानी रखने से साल्मोनेला टायफी, साल्मोनेला टायफीमरियम और विब्रियो कोलॅरी बेअसर हो जाते हैं। कुलमिलाकर इस बात के पूरे प्रमाण हाज़िर हैं कि ताँबे के बर्तन में कमसे कम 24 घंटे रखा हुआ पानी कई घातक सूक्ष्मजीवों की बैंड बजा देता है।

कई अन्य क्लेम्स जो किए जाते हैं, उन पर भी स्टडिज़ हो जाएं तो नए जमाने को भरोसा भी हो जाएगा। ताँबे के पानी को लेकर ढेर सारे क्लेम्स आज भी कई बुजुर्ग जानकार करते हैं, सभी क्लेम्स सही हैं, कहना गलत होगा और सभी क्लेम्स को खारिज करना भी मूर्खता होगी, अखित लड़ाई एक्सपीरिएंस और एक्सपेरिमेंट्स के बीच की है, आने वाले वक्त में सबको सब पता चल ही जाएगा, वजन किसका ज्यादा है😊 खोज जारी है♥️

हम अपने हिन्दू मित्रो से कहना चाहते है कि आप भी घर में पीने के पानी को रखने के लिए ताँबे के बर्तन का जुगाड़ जरूर करें, ये हमारे सनातन धर्म का ज्ञान है, और हमारे हिन्दू समाज के लिए बहुत काम का है। पानी को ताँबे के बर्तन में कम से कम 24 घंटे रखें और फिर पिएं, पानी की प्राकृतिक सफाई होगी, पानीजनित रोगों पर लगाम कसेगी और सेहत रहेगी टनाटन
❤️

#हर्बलवर्बल

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