समग्र समाचार सेवा
मैनपुरी, 10नवंबर। मैनपुरी लोकसभा सीट के उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने प्रत्याशी के नाम का एलान कर दिया है। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को प्रत्याशी बनाया गया है। सपा ने गुरुवार को उनके नाम की घोषणा कर दी। बता दें कि सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद मैनपुरी सीट पर उपचुनाव होने जा रहा है। इसके लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई है।
समाजवादी पार्टी मैनपुरी से उम्मीदवार के तौर पर डिंपल यादव के अलावा तेज प्रताप यादव और धर्मेंद्र यादव के नाम पर विचार कर रही थी, लेकिन बृहस्पतिवार को डिंपल यादव के नाम पर मुहर लग गई है। डिंपल इससे पहले कन्नौज से सांसद रह चुकी हैं। फिरोजाबाद से भी चुनाव लड़ी थी, लेकिन हार का सामना करना पड़ा था। डिंपल यादव के चुनाव का संचालन खुद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव करेंगे।
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव का राजनीतिक करियर उतार-चढ़ाव से भरा रहा है। डिंपल अपना पहला चुनाव हार गई थीं, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने अपना आत्मविश्वास बनाए रखा। उनके भाषणों में शालीनता साफ दिखती है, यही वजह है कि वह कम समय में ही लोगों के दिलों में उतरती चली गईं। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश की दो सीटों फिरोजाबाद और कन्नौज से चुनाव लड़ा। बाद में अखिलेश ने फिरोजबाद सीट छोड़ दी थी। उपचुनाव में डिंपल को वहां से उम्मीदवार बनाया। लेकिन डिंपल कांग्रेसी नेता राज बब्बर से चुनाव हार गईं थी।
दरअसल मीडिया रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि मैनपुरी लोकसभा सीट से बीजेपी मुलायम सिंह यादव के दूसरे बेटे प्रतीक यादव की पत्नी अपर्णा यादव को उम्मीदवार बनाने का मन बना रही है. सबसे बड़ी बात यह की अपर्णा मुलायम परिवार की बहू हैं तो दूसरे यादव मतदाताओं को भी बीजेपी अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही है. अपर्णा के अलावा बीजेपी पूर्व प्रत्याशी प्रेम सिंह शाक्य, पूर्व सांसद रघुराज सिंह शाक्य, विधायक ममतेश शाक्य और योगी सरकार में मंत्री जयवीर सिंह के नाम पर भी विचार कर रही है. अगर बीजेपी अपर्णा यादव को टिकट देती तो सपा के किसी अन्य प्रत्याशी के लिए खतरा पैदा हो सकता था. इसलिए सपा ने अपर्णा यादन पर भरोसा जताया. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि अपर्णा मुलायम सिंह यादव की बड़ी बहू हैं. दूसरी सबसे बड़ी वजह यह भी है कि उनके नाम पर यादव परिवार में मतभेद भी नहीं है. अगर बीजेपी अपर्णा यादव को टिकट दिया तो मुलायम की दोनों बहुओं में कांटे की टक्कर देखी जा सकती है.
कन्नौज से जीता पहला चुनाव
अखिलश यादव के कन्नौज लोकसभा सीट छोड़ने के बाद वहां 2012 में उपचुनाव हुआ। सपा ने इस बार भी डिंपल यादव पर भरोसा जताया। इस चुनाव में बसपा, कांग्रेस, भाजपा ने उनके खिलाफ कोई उम्मीदवार नहीं उतारा जबकि, दो लोगों के नामांकन वापस लेने के बाद डिंपल निर्विरोध चुनाव जीतने में कामयाब रहीं। वहीं 2014 लोकसभा चुनाव में भी वह कन्नौज सीट बचा ले गईं थी। हालांकि 2019 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।