मृत्यु और जीवन

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प्रस्तुति -कुमार राकेश । एक नौजवान जीवन से निराश था। जंगल में एक पेड़ के नीचे बैठा रोता रहता था। एक दिन मृत्यु की देवी वहाँ से गुज़री और उससे पूछा, “तुम इतना दुखी क्यों हो?”

उसने कहा, “क्योंकि मैं बेहद असफल हूँ।”

मृत्यु की देवी ने उसे वरदान दिया कि तुम बेहद सफल वैद्य बनोगे, लेकिन सबका इलाज मत करना। मरीज़ के पास जाकर आँख बंद कर लेना। तुम्हें अगर मैं मरीज़ के पैर की तरफ़ खड़ी दिखूँ, तो समझ जाना कि यह ठीक हो जाएगा। अगर मैं उसके सिर की ओर दिखूँ, तो जान लेना कि कुछ ही दिनों में मैं उसे अपने साथ ले जाऊँगी। ऐसे मरीज़ का इलाज करने से मना कर देना।

नौजवान ने ऐसा ही करना शुरू किया और दूर-दूर तक एक सफल वैद्य के रूप में उसकी कीर्ति फैल गई, कि वह जिस मरीज़ को हाथ लगाता है, वह ठीक हो जाता है। वह सफल व धनवान हो गया।

एक रोज़ उस देश की राजकुमारी बीमार पड़ गई। राजा ने घोषणा करवाई कि जो इसका इलाज कर देगा, मैं इसकी शादी उसी से कराऊँगा। जगह-जगह से वैद्य आए, लेकिन सबने हाथ खड़े कर दिए। नौजवान वहाँ पहुँचा। उसे पहली ही नज़र में राजकुमारी से प्रेम हो गया, लेकिन उसने देखा कि मृत्यु की देवी उसके सिर की ओर खड़ी है।

वह कुछ देर सोचता रहा। वह किसी भी क़ीमत पर राजकुमारी को खोना नहीं चाहता था। उसने चार नौकर बुलाए और बिजली की तेज़ी से पलंग की दिशा बदल दी। अब मृत्यु की देवी राजकुमारी के पैरों की ओर खड़ी थी। नौजवान की इस चतुराई से वह बहुत क्रोधित हुई और पैर पटकते हुए वहाँ से चली गई। राजकुमारी ठीक हो गई।
लेकिन उसी रात से नौजवान को सपने आने लगे कि मृत्यु की देवी उसके सिरहाने खड़ी है। वह पूरी रात सिरहाने को पैताना और पैताने को सिरहाना करता रहता, लेकिन देवी हर बार उसके सिर की ओर ही रहती। इससे वह इतना आतंकित रहने लगा कि कुछ ही रातों बाद उसने अपना मानसिक संतुलन खो दिया।

उसके बाद, हर रोज़ वह आत्महत्या की कोशिशें करता और हर बार बच जाता। कहते हैं कि वह अमर है। अब भी उसी जंगल में भटकता है, ख़ुद को मारने की नई-नई तरकीबें ईजाद करता हुआ, पर हर बार ज़िंदा बच जाता हुआ।

जब मृत्यु नाराज़ होती है, जीवन का शाप देती है।

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