समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 2नवंबर। देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु पाताल लोक में योग निंद्रा के लिए चले जाते हैं और तभी से चातुर्मास की शुरुआत होती है. हिंदू धर्म में चातुर्मास के दौरान कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य नहीं किया जाता. इसके बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु योग निंद्रा से जागते हैं और इसे देवउठनी एकादशी कहा जाता है. हिंदू धर्म में देवउठनी एकादशी का विशेष महत्व है और इसी दिन से शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है. इस साल यह एकादशी 4 नवंबर 2022 को है और इस दिन कुछ बातों को विशेष ध्यान रखना चाहिए.
1.देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु और तुलसी का पूजन किया जाता है. इस दिन शालिग्राम के साथ तुलसी का विवाह कराया जाता है. ऐसे में भूलकर भी तुलसी का पत्ता तोड़ने की गलती न करें.
2.देवउठनी एकादशी के दिन सात्विक भोजन का ही सेवन करना चाहिए. इस दिन व्रत करने का विधान है और अगर आप व्रत नहीं रख रहे हैं, तो भी इस दिन साधारण भोजन करें. प्याज, लहसुन, अंडा, मांस, मदिरा आदि तामसिक चीजों का सेवन न करें.
3. देवउठनी एकादशी के दिन चावल खाना निषेध होता है और इसलिए गलती से भी चावल या उससे बनी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए.
4.इस दिन बजुर्गों का अनादर न करें. क्लेश, झगड़ा और बहस में न पड़ें. वरना माता लक्ष्मी आपसे नाराज हो सकती हैं.
5. एकादशी के दिन दिन में नहीं सोना चाहिए बल्कि इस दिन पूजा पाठ आदि करना चाहिए. इस दिन भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करना चाहिए.
