अयोध्या में पीएम मोदी ने प्रतीकात्मक भगवान राम का राज्याभिषेक किया, यहां जानें दीपोत्सव को लेकर उनके स्पीच
समग्र समाचार सेवा
अयोध्या, 23अक्टूबर। आज अयोध्या में दीपोत्सव मनाया जा रहा है. कई लाख दीये जलाए जाने की शुरुआत हो चुकी है. इस बीच पीएम मोदी भी अयोध्या में कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेने पहुंचे हैं. पीएम मोदी ने अयोध्या में राम जन्मभूमि पर रामलला की पूजा अर्चना की. इसके साथ ही पीएम मोदी ने अयोध्या में प्रतीकात्मक भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक भी किया है. अयोध्या में पीएम मोदी ने लेज़र शो की शुरुआत की. अयोध्या जगमग हो उठा है. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि श्री रामलला के दर्शन और उसके बाद राजा राम का अभिषेक, ये सौभाग्य रामजी की कृपा से ही मिलता है. जब श्रीराम का अभिषेक होता है तो हमारे भीतर भगवान राम के आदर्श, मूल्य और दृढ़ हो जाते हैं. पीएम मोदी ने कहा कि आजादी के अमृतकाल में भगवान राम जैसी संकल्प शक्ति, देश को नई ऊंचाई पर ले जाएगी. भगवान राम ने अपने वचन में, अपने विचारों में, अपने शासन में, अपने प्रशासन में जिन मूल्यों को गढ़ा. वो सबका साथ-सबका विकास की प्रेरणा हैं और सबका विश्वास-सबका प्रयास का आधार हैं.
Prime Minister Narendra Modi performs the Rajyabhishek of the symbolic Bhagwan Shree Ram in Ayodhya, Uttar Pradesh pic.twitter.com/fOvZlxpxFU
— ANI (@ANI) October 23, 2022
लाल किले से मैंने सभी देशवासियों से पंच प्राणों को आत्मसात करने का आह्वान किया है. इन पंच प्रांणों की ऊर्जा जिस एक तत्व से जुड़ी है, वो है भारत के नागरिकों का कर्तव्य. आज अयोध्या नगरी में, दीपोत्सव के इस पावन अवसर पर हमें अपने इस संकल्प को दोहराना है, श्रीराम से सीखना है. भगवान राम मर्यादापुरुषोत्तम कहे जाते हैं. मर्यादा, मान रखना भी सिखाती है और मान देना भी. और मर्यादा जिस बोध की आग्रह होती है, वो बोध कर्तव्य ही है. राम किसी को पीछे नहीं छोड़ते. राम कर्तव्य-भावना से मुख नहीं मोड़ते. इसलिए, राम, भारत की उस भावना के प्रतीक हैं, जो मानती है कि हमारे अधिकार हमारे कर्तव्यों से स्वयं सिद्ध हो जाते हैं.
इस दौरान कुल करीब 18 लाख मिट्टी के दीपक जलाए जा रहे हैं. पूरा अयोध्या जगमग हो उठा है. आतिशबाजी के दौरान पीएम मोदी और सीएम योगी मौजूद रहे.अयोध्या में यह छठा मौका है जब दीपोत्सव समारोह का आयोजन किया जा रहा है. पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस कार्यक्रम में व्यक्तिगत रूप से हिस्सा लेने पहुंचे हैं.
अयोध्या संभाग के मंडलायुक्त नवदीप रिनवा ने बताया कि राम की पैड़ी में 22,000 से अधिक स्वयंसेवकों द्वारा 15 लाख से अधिक दीये जलाए जा रहे हैं. अयोध्या में चारों ओर जगमग है. बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचे हुए हैं.
जानें पीएम मोदी की बड़ी बातें…
इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि श्री रामलला के दर्शन और उसके बाद राजा राम का अभिषेक ये सौभाग्य रामजी की कृपा से ही मिलता है. जब श्रीराम का अभिषेक होता है तो हमारे भीतर भगवान राम के आदर्श, मूल्य और दृढ़ हो जाते हैं.
पीएम मोदी ने कहा कि आजादी के अमृतकाल में भगवान राम जैसी संकल्प शक्ति, देश को नई ऊंचाई पर ले जाएगी. भगवान राम ने अपने वचन में, अपने विचारों में, अपने शासन में, अपने प्रशासन में जिन मूल्यों को गढ़ा. वो सबका साथ-सबका विकास की प्रेरणा हैं और सबका विश्वास-सबका प्रयास का आधार हैं.
लाल किले से मैंने सभी देशवासियों से पंच प्राणों को आत्मसात करने का आह्वान किया है. इन पंच प्रांणों की ऊर्जा जिस एक तत्व से जुड़ी है, वो है भारत के नागरिकों का कर्तव्य.
आज अयोध्या नगरी में दीपोत्सव के इस पावन अवसर पर हमें अपने इस संकल्प को दोहराना है, श्रीराम से सीखना है.
भगवान राम मर्यादापुरुषोत्तम कहे जाते हैं. मर्यादा, मान रखना भी सिखाती है और मान देना भी. और मर्यादा, जिस बोध की आग्रह होती है, वो बोध कर्तव्य ही है. राम किसी को पीछे नहीं छोड़ते. राम कर्तव्य-भावना से मुख नहीं मोड़ते. इसलिए राम भारत की उस भावना के प्रतीक हैं, जो मानती है कि हमारे अधिकार हमारे कर्तव्यों से स्वयं सिद्ध हो जाते हैं.
आज अयोध्या जी, दीपों से दिव्य हैं. भावनाओं से भव्य हैं. आज अयोध्या नगरी, भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण के स्वर्णिम अध्याय का प्रतिबिंब है.
हमने त्रेता की उस अयोध्या के दर्शन नहीं किए, लेकिन प्रभु श्रीराम के आशीर्वाद से आज हम अमृतकाल में अमर अयोध्या की अलौकिकता के साक्षी बन रहे हैं.
हम उस सभ्यता और संस्कृति के वाहक हैं, पर्व और उत्सव जिनके जीवन का सहज-स्वाभाविक हिस्सा रहे हैं.
दीपावली के दीपक हमारे लिए केवल एक वस्तु नहीं है. ये भारत के आदर्शों, मूल्यों और दर्शन के जीवंत ऊर्जापुंच हैं. जगत प्रकास्य प्रकासक रामू. अर्थात, भगवान राम पूरे विश्व को प्रकाश देने वाले हैं. वो पूरे विश्व के लिए एक ज्योतिपुंज की तरह हैं.
मध्यकाल और आधुनिककाल तक भारत ने कितने अंधकार भरे युगों का सामना किया है. जिन झंझावातों में बड़ी-बड़ी सभ्यताओं के सूर्य अस्त हो गए, उनमें हमारे दीपक जलते रहे. प्रकाश देते रहे और फिर उन तूफानों को शांत कर उद्दीप्त हो उठे.