करवाचौथ का वैज्ञानिक पक्ष

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डॉ विजय मिश्रा।
हमारा शरीर ही नहीं ब्रह्माण्ड भी पञ्च तत्व से बना है, जो ब्रह्माण्ड में हो रही तत्व की गतिविधियों से प्रभावित होता है।

चन्द्रमाँ चुम्बकीय प्रभाव से युक्त है जिसके कारण ही ज्वार भाटा भी आता है वैसे ही चन्द्रमाँ हमारे शरीर पर प्रभाव डालता है। मनुष्‍य के शरीर में जन्म से कुछ चुम्‍बकीय तत्‍व होते हैं जिससे नवग्रह के सभी मंडलों का प्रभाव पड़ता है।

करवा चौथ चन्द्रमाँ की उपस्थिति में मनाया जाता है। मिट्टी का करवा पंच तत्व, मिट्टी को पानी में गला कर बनाते हैं जो भूमि तत्व और जल तत्व का प्रतीक है, फिर आग में तपाकर बनाते है। करवा (पञ्च तत्व) पृथ्वी (मिट्टी), जल, अग्नि (सुखाते है), वायु, और आकाश तत्व (चंद्रमा) के समक्ष पूजा की जाती है।

निर्जला व्रत से शरीर में पानी की कमी के कारण शरीर के सभी तत्व (अग्नि, आकाश, वायु, जल, पृथ्वी) कम हो जाते है। विशेष पानी की कमी होती है, चंद्रमा के सामने पूजा करने से शरीर के पञ्च तत्व पर विशेष प्रभाव चन्द्रमाँ के चुंबकीय प्रभाव का बहुत प्रचंडता से और अत्यधिक बल से कार्य करने लगता है, यदि पत्नी के साथ पति भी इस व्रत करे तो अधिक प्रभावशाली होता है जिससे पति और पत्नी दोनों की चुंबकीय तत्व अत्यधिक हो जाते है।

चन्द्रमाँ की किरणों का मानव शरीर पर चुंबकीय प्रभाव :-

ब्रह्मांड में जितने भी ग्रह हैं, उन सभी का व्यक्ति के ‍जीवन पर विशेष और अत्यंत महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।चन्द्रमा मन का अधिष्ठाता है, मन की कल्पनाशीलता चन्द्रमा की स्थिति से प्रभावित होती है।

स्त्रियों में स्थित कामभावना चंद्रमा की कलाओं के उपचय-अपचय के अनुसार विभिन्न अंगों में तिथिक्रम से केंद्रित रहा करती है। जिससे कारण पति और पत्नी के आंतरिक चुम्कीय तत्व आकर्षित होते है।

नीचे लिखा मंत्र प्रमाणित करता है की सभी मंत्रो और औषधियों के स्वामी चंद्रमा मेरे द्वारा पूर्व और इस जन्म के पापों को क्षमा करें।

यही कारण है की सनातन में तलाक (Divorced) जैसे शब्द नही है। हमारी संस्कृति ने पूरे परिवार को त्योहारों की वैज्ञानिकताने जकड़े रखा है।

अन्य_देशों में करवाचौथ जैसे त्यौहार :-
हिब्रू (यहूदी)में यह पूर्णिमा सुक्कोथ की शुरुआत के करीब आती है, जो कि तिश्रेई के चंद्र महीने के 15 वें दिन से जुड़ी है।सुक्कोथ को परिवार छुट्टी के लिए बनाई गई एक अस्थायी झोपड़ी में खाता है, (चंद्रमा की उपस्थिति में) सोता है और समय बिताता है।

अन्य देशों में करवाचौथ जैसे त्यौहार :-
हिब्रू (यहूदी) में यह पूर्णिमा सुक्कोथ की शुरुआत के करीब आती है, जो कि तिश्रेई के चंद्र महीने के 15 वें दिन से जुड़ी है।सुक्कोथ को परिवार छुट्टी के लिए बनाई गई एक अस्थायी झोपड़ी में खाता है, (चंद्रमा की उपस्थिति में) सोता है और समय बिताता है।

अमेरिका में इस पूर्णिमा को अल्गोंक्विन जनजातियों (मूल निवासी) ने जो अब उत्तरपूर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका में है, इसे ट्रैवल मून, द डाइंग ग्रास मून, या सेंगुइन या ब्लड मून कहते है। यह भी चंद्रमा के सानिध्य में मनाया जाता है।

म्यांमार में, यह पूर्णिमा तीन दिवसीय थडिंग्युट फेस्टिवल ऑफ लाइट्स कहते है, जिसे म्यांमार के लाइटिंग फेस्टिवल के रूप में भी जाना जाता है। इसके अलावा म्यांमार में, यह पूर्णिमा फाउंग दाऊ यू पगोडा महोत्सव के अंत के करीब है। यह त्यौहार थडिंग्युट महीने के पहले शुक्ल पक्ष के दिन शुरू हुआ और इस पूर्णिमा के कुछ दिन बाद समाप्त होगा।

लाओस में, यह पूर्णिमा बौन सुआंग हुआ, या बोट रेसिंग फेस्टिवल कहते है।

श्रीलंका में, यह वाप पोया है, जिसके बाद कथिना उत्सव होता है, जिसके दौरान लोग भिक्षुओं को उपहार देते हैं, विशेष रूप से नए वस्त्र, इसलिए यह चंद्र महीने को कभी-कभी वस्त्रों का महीना कहा जाता है।

विशेष:- यदि सनातनी है तो सभी त्यौहारों को उसी अनुसार मनाएं जिस प्रकार शास्त्र कहते है। ढोंग ना करें, यदि अपने पति को अगले जन्म में नहीं चाहती तो मत मनाइये, क्यों की इन सभी परम्पराओ का प्रभाव पड़ता है। कहीं पुराना माल फिर से पल्ले ना पड़ जाये तो अच्छा है की व्रत रखना बंद कीजिये।

विशेष:- यदि सनातनी है तो सभी त्यौहारों को उसी अनुसार मनाएं जिस प्रकार शास्त्र कहते है। ढोंग ना करें, यदि अपने पति को अगले जन्म में नहीं चाहती तो मत मनाइये, क्यों की इन सभी परम्पराओ का प्रभाव पड़ता है।

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