समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 12अक्टूबर। पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत रखा जा रहा है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखकर भगवान शिव, माता पार्वती और चंद्रदेव की पूजा करती हैं। इस साल करवा चौथ पर शुक्र अस्त होने का प्रभाव है। इसलिए कहा जा रहा है कि पहली बार करवा चौथ रखने वाली महिलाएं इस बार से शुरुआत न करें। क्योंकि यह शुभ नहीं माना जा जा रहगा है।
करवा चौथ 2022 तिथि और मुहूर्त
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ – 13 अक्टूबर 2022 को सुबह 01 बजकर 59 मिनट से
चतुर्थी तिथि समाप्त – 14 अक्टूबर 2022 को सुबह 03 बजकर 08 मिनट तक
करवा चौथ पूजा का अच्छा मुहूर्त- 13 अक्टूबर शाम को 5 बजकर 54 मिनट से लेकर 7 बजकर 09 मिनट तक है।
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 21 मिनट से दोपहर 12 बजकर 07 मिनट तक
करवा चौथ पर चंद्रोदय- रात 8 बजकर 09 मिनट पर
करवा चौथ व्रत समय – सुबह 06 बजकर 20 मिनट से रात 08 बजकर 09 मिनट तक
पौराणिक कथा
करवा चौथ के पीछे एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है और शाम के समय पूजा के वक्त वह पढ़ी व सुनाई जाती है. यह वीरवती नाम की एक रानी की कहानी होती है. वीरवती सात भाईयों की एक बहन थी. सभी उसे बहुत लाड प्यार करते थे. वीरवती की जल्दी ही शादी हो गई और अपना पहला करवा चौथ व्रत करने के लिए वह मायके आ गई. वीरवती ने व्रत के कड़े नियमों का पालन किया. लेकिन जैसे-जैसे दिन बीतने लगा, वह चांद का बेसब्री से इंतजार करने लगी, ताकि वह व्रत खोल सके.
अपनी बहन को प्यासा और भूखा देखकर भाईयों को रहा नहीं गया. उन्होंने अपनी प्यारी बहन को इस स्थिति से निकालने के लिए एक उपाय लगाया. उन्होंने पीपल के पेड़ पर एक आईना जाकर लगा दिया, जो बिल्कुल चांद के समान दिख रहा था.
उन्होंने जाकर वीरवती को बताया कि चांद निकल गया है और अब वह व्रत खोल सकती है. वीरवती खुशी से फूले नहीं समाई और उसने चंद्र दर्शन कर जैसे ही अपने मुंह में एक निवाला डाला, घर के एक नौकर ने आकर ये समाचार दिया कि उसके पति की मौत हो गई है. वीरवती का दिल टूट गया और वह पूरी रात रोती रही.
क्योंकि वीरवती की कोई गलती नहीं थी, इसलिए देवी उसके सामने प्रकट हुईं. वीरवती ने उन्हें अपनी पूरी कहानी सुनाई. इस पर देवी ने कहा कि तुम एक बार फिर करवा चौथ का व्रत करो और इस बार नियमों का पालन पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ करना. वीरवती ने ऐसा ही किया. वीरवती की निष्ठा को देखकर यम देवता को विवश होकर उसके पति को फिर से जीवित करना पड़ा.