गुस्ताखी माफ़ हरियाणा: विज का दरबार – पार्ट तीन (अंतिम)

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पवन कुमार बंसल।
गुस्ताखी माफ़ हरियाणा: विज का दरबार – पार्ट तीन (अंतिम)

पुलिस अफसर नेताओं के दवाब में न्याय नहीं करते।

गुस्ताखी माफ़ हरियाणा के एक पाठक ने बताया की विज के दरबार में एक परिवादी ने गृह मंत्री को बताया कि उसके बेटे को हत्या के निश्चय से तीन गोलियां मारी गईं।

मुख्य अपराधी के प्रतिवेदन पर तीन अलग अलग पुलिस उप अधीक्षकों द्वारा तसदीक में भी उसे अपराधी घोषित करने एवं रेंज पुलिस महानिरीक्षक के आदेश के बावजूद उसे गिरफ्तार नहीं किया जा रहा है, क्योंकि एक मंत्री जी बचाना चाहते हैं।

संबंधित पुलिस अधीक्षक पहले ही हथियार डाल चुके हैं। ऐसी पुलिस अकर्मण्यता के विरुद्ध आखिर लोग न्याय के लिए कहां जाएं? डूबते को विज का सहारा…!!! पाठक ने लिखा की

सभी राजनैतिक लोग प्रायः इंचों में सोचते हैं और फुटों में बोलते हैं, तो फिर अकेले विज साहब का क्या कसूर है यदि एक-आधा आदेश गलत हो भी गया तो? वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ऐसे किसी आदेश को नम्रता से चुनौती क्यों नहीं देते? लेकिन लगता है सारे सिस्टम ने आत्मसमर्पण कर दिया है?

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