व्यंग्य/विनोद- उल्टी सरकार पलटे सरकार

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!

पार्थसारथि थपलियाल

सच कहूँ तो जब जब आम पकते हैं तब तब मुझे विकास पुरुष याद आते हैं। भई जो आदमी विकास पुरुष हो उसे याद करना हमारा धर्म है। नही तो लोग हमें नाशुक्रा कहेंगे। इछले साल इन्ही दिनों चचा बिन बुलाए मेहमान की तरह आम खाने भतीजे के घर चले गए थे। कोई कहता है संबंधों में अहंकार का क्या काम। कुछ कहते हैं उस आदमी का भी क्या जीना जिसमें अहंकार न हो।

अहंकार भी कई प्रकार के होते हैं- पद का अहंकार, मद का अहंकार, हद का अहंकार तो सुने हैं लेकिन जब आदमी मूर्खता के अहंकार को व्यामोह परिधान की तरह धारण कर ले उसी का नाम चचा है। पैसे वाले माँ-बाप के बिगड़ैल बच्चे की तरह रार मार दी। मुझे ये पसंद नही दूसरी लाओ। दूसरी को तो 2017 में रिजेक्ट कर चुके हो, अब कैसे लाएं? न इससे अब प्यार परवान नही चढ़ पा रहा है।

अरे चचा! रिजेक्टेड को तुम्ही ने तो रिजेक्ट किया था। भूल गए उसने तुम्हे पानी पी पीकर कोसा था और तुम्हे पलटू कहा था। हाँ तुमने रिजेक्टेड माल के कटु वचन भी सुने थे। उसी ने चचा तुम्हे पलटू नाम दिया था। और चचा वचन तो आपने भी राजा दशरथ की तरह दिए थे कि मैं मर जाऊंगा लेकिन उसके पास नही जाऊंगा। फिर ये इश्क कैसे बढ़ा? चचा कुछ तो शर्म करो। अरे, शर्म हम करें? साम्प्रदायिक लोगों के साथ रहना ठीक नही। ये लोग हमारे लोगों को कभी SIMI का बता देते हैं तो कभी PFI के। इन्ही लोगों ने हमारे मिथिलांचल को बदनाम कर दिया। कहीं का ईंट कहीं का रोड़ा। न जाने कहाँ से लोगों को लाते है ऐसे लोगों को पकड़वाने। हमें तो किसी ने बताया कि चचा सुरंग खुद गई। सुरंग खुदने से क्या फर्क पड़ता है?

तमतामाते हुए – तुम्हे मालूम है मैं क्लास मॉनिटर की तरह बना दिया गया हूँ। क्या तुम नही सोचते कि मैं भी जनरल मॉनिटर बन जाऊं? चचा, कैसी लौंडे लापाडों जैसी बात करते हो?
17 सालों से एक ही कुर्सी पर बैठे बैठे कुर्सी की तरह जंग लग गया है? उधर मोटा भाई और छोटा भाई है। मॉनिटर तो वे ही रहेंगे। फजीहत क्यों कराते फिरते हो? सुना है बुलडोजर बाबा की डिमांड हर जगह सुनाई दे रही है।

बुलडोजर बाबा को तो कई देश मांग रहे हैं। मॉनिटर तो बाबा को भी बनना है। वो धमकाने वालों से लेकर पटाने वालों तक बुलडोजर चला देता है। और हां चचा। छाज तो बोले बोले, छलनी क्या बोले? 45 कि मटकी लेकर मटक मटक कर ऐसे चल रहे हो जैसे शोले फ़िल्म की हीरोइन हों, जिसकी गालों की तुलना लालू यादव ने बिहार की सड़कों से की थी।

चचा अभी कुछ नही बिगड़ा। घर की बात घर मे ही राह जाएगी। राज्यपाल के पास जाकर एक बार और पलट जाना कि ओ सरकार मैंने उल्टी थी उसे पलटने आया हूँ। मुझे आर सी सिंह का चालूपन देखना था। सिंह मेरे सपने में मुझसे लड़ रहा था। इसलिए मेरा इस्तीफा लौटा दो। वे बुरा भी नही मानेंगे क्योंकि वे मन ही मन आपको पलटू समझ बैठे है। आठवीं बार पलटने की शपथ राज्यपाल को भी भ्रमित करेगी कि सत्य निष्ठा का बाजा एक बार और बजाना पड़ेगा।

चचा रूठी रानी माननेवाले न दिन रहे न आदमी। डिजिटल जमाना है। समझना चाहो तो बड़बोले संजय रावत से भी सलाह मिल सकती है। उनका पता आजकल आर्थर रोड बदल गया है। बुरे वक्त पर अनुभवी लोगों से ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। ममता, शरद पंवार ने तो इंडिया बदल दिया। केवल चिरयुवा रागा, आप और आप का पाप रह गए हैं तो एक मुल्ला जी का ज्ञान भी सुन लो मियां एक दिन किसी को धमका रहे थे मस्जिद में रहना हो तो मुल्ले की सुननी ही पड़ेगी।

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Leave A Reply

Your email address will not be published.