चीन में जिनपिंग के खिलाफ मिडिल क्लास का ‘विद्रोह’, लोग जीरो कोविड पॉलिसी से परेशान
31 लाख उद्योग बंद, 1.07 करोड़ ग्रेजुएट बेरोजगार, बैंक से नही मिल रहा पैसा
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 23जुलाई। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को पहली बार मिडिल क्लास के लोगों का ‘विद्रोह’ झेलना पड़ रहा है. चीन के 31 में से 24 प्रांतों में लोग 235 प्रॉपर्टी प्रोजेक्ट के 1.3 करोड़ लोग होम लोन की किस्त जमा नहीं करा रहे हैं. उनका आरोप है कि बिल्डर प्रॉपर्टी का समय पर कब्जा नहीं दे रहे हैं. कोरोना काल के दौरान चीन में जीरो कोविड की नीति के तहत सख्त लॉकडाउन के कारण प्रॉपर्टी सेक्टर को काफी नुकसान हुआ. ऐसे में प्रोजेक्ट समय पर पूरे नहीं हो पा रहे हैं. रिसर्च संस्था कैपिटल इकोनॉमिक्स के जूलियन इवांस का कहना है कि प्रॉपर्टी सेक्टर की मंदी जल्द ही चीन के अन्य सेक्टरों को भी प्रभावित करेगी.
नवंबर में कम्युनिस्ट पार्टी के अधिवेशन में जिनपिंग तीसरी बार राष्ट्रपति पद के लिए दावेदारी करेंगे. मिडिल क्लास का ये विद्रोह उनके लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकता है. चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के लगभग 10 करोड़ सदस्य प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से वोटिंग करेंगे.
जीरो कोविड पॉलिसी व लंबे लॉकडाउन ने चीन को दुनिया से अलग कर दिया है. पूर्व डिप्लोमेट और लेखक रोजर गारसाइड के अनुसार देश में भी गुस्सा और कम्युनिस्ट पार्टी के प्रति लॉयल्टी में कमी आई. किताब ‘चाइना कू’ के लेखक गारसाइड ने बताया कि जिनपिंग बाहरी व आंतरिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं जो जिनपिंग के नेतृत्व में काम कर रहे उनके विरोधियों को मौका दे रही हैं.
चीन में लगभग 70% लोगों ने संपत्ति में निवेश किया है, यह अमेरिका की तुलना में कहीं अधिक है. इसलिए ये विरोध भारी पड़ सकता है. वैसे भी जिनपिंग तीसरे कार्यकाल की तैयारी कर रहे हैं. जिनपिंग की परेशानी को ऐसे भी समझ सकते हैं कि देश में पहले छह महीनों में 31 लाख उद्योग-कारोबार बंद हो चुके हैं. 1.07 करोड़ छात्र ग्रेजुएट कर चुके हैं. ये अभी बेरोजगार है. इन्हें रोजगार कैसे दिया जाए? हेनान की राजधानी झेंग्झौ में विरोध-प्रदर्शन हिंसक हाे गया है. पुलिस से लोगों की झड़पें होने लगी हैं. लोग बैंकों से अपने पैसे लौटाने की मांग कर रहे हैं. वहीं अधिकारियों का कहना है कि वे जमाकर्ताओं को किस्तों में जारी करना शुरू कर देंगे. 15 जुलाई को पहली किस्त दी जानी थी, लेकिन जमाकर्ताओं को मिलीं. इससे गंभीर सवाल खड़ा हो गया है कि क्या बैंक डिफॉल्टर हो गए हैं।।