समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 4 जुलाई। जो सरकार आज राजस्थान में है वही सरकार पालघर संत हत्याकांड के समय महाराष्ट्र में थी। लेकिन अंतर देखिए कि आज कोर्ट परिसर में जब कन्हैया लाल के हत्यारों पर लोगों ने हमला किया तो कैसे पुलिस बचा कर वैन में सुरक्षित ले गई।
लेकिन जब पालघर में दो संतात्मा को बचाने की बात हुई थी तब इन्हीं पुलिस वालों ने संतो को भीड़ के हवाले कर दिया था। सीधी सी बात है कि पालघर में जो भीड़ थी इमान वालों की थी। लेकिन आज जो भीड़ थी वह हिंदुओं की थी।
भीड़ भीड़ में कितना फर्क होता है देखिए। भीड़ की भी अपनी गुणवत्ता होती है। कौन कहता है भीड़ का कोई चेहरा नहीं होता। एक भीड़ जो भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए उमटी है, कहीं सुरक्षा को जोखिम नहीं होता। लेकिन वही एक भीड़ जब शुक्रवार को निकलती है चारों तरफ दहशत छा जाता है। कौन कहता है भीड़ का कोई धर्म नहीं होता?