कल्पना के उमड़ते घुमड़ते बादल

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पार्थसारथि थपलियाल
पार्थसारथि थपलियाल

पार्थसारथि थपलियाल

आज मुझे अपनी लिखी जा रही सीरीज को आगे बढ़ाना था लेकिन मौसम ने अंगड़ाई ली, तन्हाई ने पंख दिए आसमान में बादल थे। ये बादल ले उड़े अपने साथ ऊंचाई पर। ये बादल वही थे जो वर्षों पहले रामटेक आश्रम में महाकवि कालिदास ने देखे थे और लिख दिया था मेघ दूत। आषाढ़स्य प्रथम दिवस उस समय था। आज दिल्ली एनसीआर में धुंए और ज्योति का मिश्रण बादल रूप में आच्छादित हैं-
आज मौसम बड़ा बेईमान है
बड़ा बेईमान है, आज मौसम
आने वाला कोई तूफ़ान है
कोई तूफ़ान है, आज मौसम

क्या हुआ है, हुआ कुछ नहीं है
बात क्या है पता कुछ नहीं है
मुझसे कोई ख़ता हो गई तो
इस में मेरी ख़ता कुछ नहीं है
ख़ूबसूरत है तू रुत जवान है
आज मौसम बड़ा बेईमान है…. फ़िल्म-लोफर

इस अलबेले मौसम में दुनिया की सारी खुशियाँ एक तरफ और मौसम का मज़ा एक तरफ। फिर मन क्यों न मयूर होकर नाचेगा और गायेगा- अलबेला मौसम कहता है स्वागतं….
महकी क्यूँ गली-गली
खिली क्यूँ कली-कली
क्या कहती है हवा
तुझे हर खुशी मिले
लंबी ज़िन्दगी मिले
देती है ये दुआ
अलबेला मौसम
कहता है स्वागतम
अलबेला मौसम
कहता है स्वागतम… फ़िल्म- तोहफा

इस लवली मौसम में कुछ लोग छतों पर चढ़ कर आनंद ले रहे हैं, कुछ खुले आंगन में मौसम की पहली बरसात को मना रहे हैं। ये छोटू, वो चिंटू और पिंटू। वो पिंकी, और निक्की सभी तो नाच रहे हैं…. आप हैं कि शरमा रहे हैं…लोग क्या कहेंगे?
अरे, भाभी जी! ऐसा मौसम फिर न मिलेगा..
मौसम मौसम, लवली मौसम
मौसम मौसम लवली मौसम
कसक अन्जानी है,मध्यम मध्यम
कसक अन्जानी हैमध्यम मध्यम
चलो घुल जाएँमौसम में हम, मौसम मौसम लवली मौसम
मौसम मौसम
लवली मौसम
हवा के झोंको में, तेरी खुश्बू सी है
हवा के झोंको में तेरी खुश्बू सी है
बेवजह लगता है कोई खुश खबरी है
मौसम मौसम लवली मौसम
कसक अन्जानी है मध्यम मध्यम
चलो घुल जाएँ मौसम में हम
मौसम मौसम, लवली मौसम, मौसम मौसम, लवली मौसम
फ़िल्म-थोड़ी सी बेवफाई

चारों ओर से छितराये बादल आसमान में आये। न जाने बादलों ने क्या क्या गुफ्तगू की, और रिमझिम रिमझिम सूखी धरती को इस तरह पानी देने लगे जैसे कोई धर्मात्मा प्यासे को पानी पिला रहा हो-
रिम झिम के तराने लेके आयी बरसात
याद आये किसीसे वो पहेली मुलाक़ात
रिम झिम के तराने लेके आयी बरसात
याद आये किसीसे वो पहेली मुलाक़ात
रिम झिम के तराने लेके आयी बरसात…..
फ़िल्म-काला बाजार
प्यार-मोहब्बत करने वालों की कल्पनाएं बादलों की तरह उमड़ घुमड़ कर एक आकार की तरह होते होते एकाकार हो जाती हैं, फिर कजरा और गजरा से होती मृगनयनी और चंद्रमुखी झसलर, हीरा मोती बनाने की ताकत इन्ही गदराए बादलों में है-
कहाँ से आए बदरा घुलता जाए कजरा
कहाँ से आए बदरा घुलता जाए कजरा

पलकों के सतरंगे दीपक बन बैठे आँसू कि झालर
मोती का अनमोलक हीरा मिट्टी मे जा फिसला
कहाँ से आए बदरा …
फ़िल्म-चश्मे बद्दूर
कहते हैं हमारी खुशियां हमेशा डर के साये में रहती हैं। न जाने ये पल कब बीत जाएगा। आओ मौसम को जीवन बना लें वह जीवन जो अपना हो, अपनी कल्पनाओं के हो-

चुरा ले ना तुमको ये मौसम सुहाना
खुली वादियों में अकेली न जाना
लुभाता है मुझको ये मौसम सुहाना
मैं जाउंगी तुम मेरे पीछे न आना

लिपट जाएगा कोई बेबाक झोका
जवानी की रौ में ना आँचल उडाना
मेरे वास्ते तुम परेशा न होना
मुझे खूब आता है दामन बचाना
मुझे खूब आता है दामन बचाना
मैं जाउंगी तुम मेरे पीछे न आना
फ़िल्म-दिल ही तो है
बरसात का बादल तो दीवाना है, क्या जाने
किस राह से गुजरना है, किस राह को भिगोना है।

इन बादलों के साथ हम अपने सपनों के ताने बाने बनाएं और बनाएं जीवन का एक खूबसूरत आशियाना।

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