समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 4जुलाई। एनपीपीए ने पैरासिटामोल, कैफीन सहित 84 दवाओं के दाम तय कर दिए हैं, जिनमें डायबिटी, सिरदर्द और हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और ट्राईग्लिसराइड जैसी बिमारियों की दवाएं शामिल हैं। अब कीमत तय होने के बाद कोई भी केमिस्ट ग्राहक से इन दवाओं के लिए तय कीमत से ज्यादा दाम नहीं ले सकता है। बता दें कि एनपीपीए एक सरकारी संस्था है जिसका पूरा नाम नेशनल फार्माश्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी है और यह दवाइयों की कीमतों पर नजर रखती है।
एनपीपीए ने ‘ड्रग्स (प्राइस कंट्रोल) ऑर्डर, 2013’ का सहारा लेते हुए दवाओं की कीमतें निर्धारित की हैं। एक नोटिफिकेशन में दवाओं की कीमतें निश्चित करने के आदेश की जानकारी दी गई है। ऑर्डर के मुताबिक, वोग्लिबोस और (एसआर) मेटफॉर्मिन हाइड्रोक्लोराइड के एक टैबलेट की कीमत 10.47 रुपए होगी जिसमें जीएसटी शामिल नहीं है। इसी तरह पैरासिटामोल और कैफीन की कीमत 2.88 रुपए प्रति टैबलेट तय की गई है। इसके अलावा एक रोसुवास्टेटिन एस्पिरिन और क्लोपिडोग्रेल कैप्सूल की कीमत 13.91 रुपए तय की गई है।
एक अलग नोटिफिकेशन में, एनपीपीए ने कहा कि उसने इस साल 30 सितंबर तक लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन और ऑक्सीजन इनहेलेशन (औषधीय गैस) की संशोधित अधिकतम कीमत बढ़ा दी है। एनपीपीए को थोक दवाओं और फॉर्मूलेशन की कीमतों को तय या संशोधित करने और देश में दवाओं की कीमतों और उपलब्धता को लागू करने का अधिकार है। जिन दवाओं की कीमतों पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है, एनपीपीए उनकी कीमतों की निगरानी भी करता है ताकि उन्हें सही स्तर पर रखा जा सके। एनपीपीए ड्रग्स (प्राइस कंट्रोल) ऑर्डर के प्रावधानों को लागू करता है। एनपीपीए उन फार्मा कंपनियों से पैसा रिकवर कर सकता है जो कंपनियां ग्राहकों से अधिक पैसे वसूलती हैं।
गौरतलब है कि इसी साल अप्रैल महीने में एनपीपीए ने कई दवाओं के रेट लगभग 11 परसेंट तक बढ़ा दिए थे। इससे कई जरूरी दवाएं महंगी हो गईं। इन दवाओं में इसेंशियल और लाइफ सेविंग मेडीसिन भी शामिल हैं। दवाओं के होलसेल प्राइस इंडेक्स को देखते हुए दवाओं की दर में 10.7 परसेंट की वृद्धि की गई जिससे लगभग 800 दवाओं के रेट बढ़ गए।
दरअसल, दवाओं की कीमतें तय करने का एक निर्धारित कानून है। सरकार की तरफ से एक लिस्ट बनाई गई है जिसे नेशनल लिस्ट ऑफ इसेंशियल मेडीसिन्स या एनएलईएम कहा जाता है। इस लिस्ट में वे दवाएं शामिल हैं जो जीवन बचाने के लिए बेहद जरूरी हैं। इन दवाओं के दाम फार्मा कंपनियां अपनी मर्जी से न बढ़ाएं और बेहिसाब मुनाफे का खेल न चले, इसके लिए लिस्ट में आने वाली दवाओं की कीमतें निर्धारित की जाती हैं।