जब विचाराधीन कैदी को भी भोजन पानी पहुंचता है तो विचाराधीन शिवलिंग को क्यों नहीं- अविमुक्तेश्वरानन्द

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 9 जून। भारतीय संविधान में भी प्राणधारी देवता को 3 वर्ष के बालक के समकक्ष समझा जाता है। ऐसे में ज्ञानवापी क्षेत्र में प्रकट हुए भगवान आदि विश्वेश्वर को भी अन्न जल पहुचना चाहिए। हत्या के अपराधी को भी जब विचाराधीन कैदी के रूप में रखा जाता है तो उसके भी भोजन पानी की व्यवस्था की जाती है। ऐसे में विश्व के नाथ भगवान विश्वेश्वर को अन्न जल न मिल पाने से हृदय आहत है।

ये बातें स्वामिश्रीः ने आज श्रीविद्यामठ में अन्न जल त्याग के तीसरे दिन कही।

स्वामिश्रीः की ओर से जिला न्यायालय में एक वाद दाखिल किया गया है जिस पर कल सुनवाई होने की सम्भावना है।

स्वामिश्रीः अपने संकल्प पर दृढ । उनकी तपस्या आज तीसरे दिन भी अनवरत जारी है।

ज्ञानवापी क्षेत्र में प्राप्त आदि विश्वेश्वर शिवलिंग की पूजा अर्चना से रोके जाने से क्षुब्ध स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज की अन्न जल त्याग तपस्या सोमवार को तीसरे दिन भी जारी है सोमवार को अपराह्न चिकित्सकों के दल ने स्वामिश्रीः का परीक्षण किया। चिकित्सकों का कहना है कि उनकी सेहत तेजी से गिर रही है। किंतु स्वामिश्री: अपने संकल्प पर अडिग हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि जब तक आदि विश्वेश्वर की पूजा अर्चना आरंभ नहीं हो जाती तब तक मैं अपने संकल्प से टलने वाला नहीं।

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