भारत की संस्कृति और परंपरा: हाथ से भोजन करने का भी है विशेष कारण, जानें क्या है इसके पीछे का वैदिक महत्व

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स्निग्धा श्रीवास्तव

पूरी दुनिया में भारत की ही संस्कृति और परंपरा ही प्रसिद्ध है। इतना ही नही आज के समय में भारत के पहनावे और भारत का खान-पान भारत के त्योहार दुनिया भर में धुमधाम से बनाए जाते है। भारत की संस्कृति और परंपरा इसलिए भी प्रसिद्ध है कि इनके पीछे कोई ना कोई बड़ा कारण छिपा हुआ है। भारत के त्योहारों को मनाए जाने के भी पीछे कई रहस्य और कारण होते है। अब हम बात कर ले हमारी सबसे बड़ी और पहली पंरपरा भोजन को हाथ से खाने की….

हाथ से खाना खाने की हम भारतीयों की सदियों पुरानी परंपरा है। पुरातन समय से ही हमारे पूर्वज, ऋषि और महात्मा हमें हाथ से खाने की प्रेरणा देते आए हैं। भले ही आज के समय में हाथ से खाने के बजाय हमने चम्मच और काटों के सहारा लिया हो लेकिन हाथ से खाना खाने का अलग ही आनंद है।
इसके पीछे कई वैदिक महत्व है आईए जानते है उन विशेषताओं को जिनके कारण हमारे हाथ से भोजन करने की पंरपरा हमें अलग पहचान प्रदान करती है।-

जब हम हाथ से खाना खाते हैं तब उंगलियों और अंगूठे से जो मुद्रा बनती है उससे शरीर में एक विशेष उर्जा बनती है, जो हमारे शरीर को स्वस्थ रखने में सहायक होती है। हमारा शरीर पांच तत्वों के योग से बना है जिन्हें जीवन उर्जा के नाम से जाना जाता है और इन्ही पांच तत्वों की उपस्थिति हमारे हाथों की उंगलियों में होती है। इसमें अंगूठे में अग्नि, तर्जनी में वायु, मध्यमा में आकाश, अनामिका में पृथ्वी और सबसे छोटी उंगली तत्व का प्रतीक मानी गई है। माना जाता है कि जब हम हाथ से खाना खाते हैं तो उंगलियों से बनने वाली मुद्रा से पंच तत्‍वों का प्रतिनिधित्‍व मिलता है।
हाथ से खाना खानें में भोजन का अलग अहसास होता है। मगर इसमें सिर्फ स्वाद ही मुख्य कारक नहीं है। इसका एक तार्किक कारण भी है। जब हम चम्मच से खाना खाते हैं तो हमें खाने के तापमान का अंदाजा नहीं हो पाता, लेकिन यदि हम खाना खाएंगे तो हमें इस तापमान का आसानी से अहसास रहेगा। यही नहीं जब हम हाथ से खाना खाएंगे तो स्‍वभाविक रूप से पहले उन्‍हें साफ करेंगे जबकि चम्‍मच का प्रयोग करने पर हम कई बार सफाई को इग्‍नोर कर देते हैं।
जब हम हाथ से भोजन ग्रहण करते हैं तब हमारे हाथों में स्थित इन पाचों तत्वों की उर्जा हमारे भोजन को और उर्जावान बना देती है। इससे हमारे शरीर के अंदर प्राणाधार की उर्जा में विकास होता है।
जब हम हाथ से खाना खाते हैं तो हमारी तंत्रिकाओं द्वारा हमारे दिमाग में संदेश पहुंचता है जिससे हमारा पाचन तंत्र सक्रिय हो जाता है और भोजन के प्रकार के अनुसार चयापचय की व्यवस्था करता है जिससे हम भोजन को सही पचाने की उर्जा प्राप्त करते हैं।
हाथ से खाना खाने पर हम अवांछित वस्‍तु का अहसास कर पाते हैं जबकि चम्‍मच या कांटे का प्रयोग से ऐसा नहीं हो पाता। हाथ से सीधे खाने का स्‍पर्श अलग अहसास देता है। जो सेहत के लिए अच्‍छा माना जाता है।

 

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