समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 27मई। देश की जानी-मानी लेखिका और उपन्यासकार गीतांजलि श्री को उनके उपन्यास ‘Tomb of Sand’ के लिए साल 2022 का अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज दिया गया है। बता दें कि पहली बार किसी हिंदी उपन्यास के लिए किसी लेखिका को दुनिया के प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज से सम्मानित किया गया है। पुरस्कार पाने के बाद भारतीय लेखिका ने कहा कि मैंने कभी बुकर पुरस्कार का सपना नहीं देखा था, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं ऐसा कर सकती हूं। मैं आश्चर्यचकित, खुश, सम्मानित और विनम्र महसूस कर रही हूं। ये बिल्कुल सपने जैसा है।
गीतांजलि श्री की ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ को जब अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार के लिए ‘शॉर्टलिस्ट’ किया गया तो ये बड़ी उपलब्धि थी, क्योंकि ये उपन्यास बुकर प्राइज के लिए हिंदी भाषा की पहली कृति बन गया। इसके बाद अब 2022 का बुकर प्राइज भी इस उपन्यास को ही मिला है।
बता दें कि लेखिका और साहित्यकार गीतांजलि श्री का यह उपन्यास मूल रूप से हिंदी में ‘रेत समाधि’ के नाम से प्रकाशित हुई थी और इसका अंग्रेजी अनुवाद ‘’Tomb of Sand’’ नाम से डेजी रॉकवेल ने किया है। इस उपन्यास को बुकर के जूरी सदस्यों ने ‘शानदार’ बताया है।
50,000 पाउंड के साहित्यिक पुरस्कार के लिए पांच अन्य उपन्यासों में ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ ने बाजी मारी है। पुरस्कार की राशि लेखिका और अनुवादक के बीच विभाजित की जाएगी। लंदन पुस्तक मेले में घोषित अन्य शॉर्टलिस्ट किताबों में बोरा चुंग की ‘कर्स्ड बनी’ शामिल थी, जिसे कोरियाई से एंटोन हूर ने अनुवाद किया है। इसके अलावा जॉन फॉसे की ‘ए न्यू नेम: सेप्टोलॉजी VI-VII’ भी इस दौड़ में थी जिसे नार्वेई भाषा से डेमियन सियर्स ने अनुवाद किया था।