लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर भारत बढ़ा रहा इंफ्रास्ट्रक्चर

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समग्र समाचार सेवा

नई दिल्ली, 13 मई। भारत 2014 के पहले से देपसांग के मैदानों और डेमचोक में लंबे समय से चले आ रहे मसलों को हल करने के लिए चीन के साथ बातचीत करना जारी रखेगा। इसके साथ ही भारत लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर पर्याप्त बुनियादी ढांचा और नई तकनीकों को बढ़ाने पर काम कर रहा है।

भारत और चीन के बीच अभी तक मतभेद कायम

मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक, अधिकारियों ने कहा कि लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल को लेकर भारत और चीन के बीच अभी तक मतभेद कायम है। हालांकि कई दौर की बातचीत के बाद कई मसलों को सुलझाया गया है। मौजूदा वक्त में भारत की तात्कालिक और दीर्घकालिक योजना उन मसलों को हल करने के लिए चीन के साथ बातचीत जारी रखने की है जो मौजूदा गतिरोध व 2014 से पहले के हैं।

देपसांग के मैदान और डेमचोक

यह क्षेत्र पूर्वी लद्दाख के उत्तर में स्थित दौलत बेग ओल्डी के करीब है जहां भारत की सबसे ऊंची हवाई पट्टी है। देपसांग मैदान सियाचिन ग्लेशियर और चीन द्वारा कब्जाए गए क्षेत्र अक्साई चिन के बीच स्थित है। देपसांग के मैदानों में तनाव 2013 में बढ़ना शरू हुआ जब चीन ने घुसपैठ की कोशिश की थी।

2013 में दोनों पक्षों के बीच सकारात्मक बातचीत हुई

2013 में दोनों पक्षों के बीच सकारात्मक बातचीत हुई लेकिन इसके बावजूद मामला अब तक पूरी तरह से नहीं सुलझा है। यह क्षेत्र लाइन ऑफ कंट्रोल पर एक प्रमुख फ्रिक्शन पॉइंट बना हुआ है। चीन भारतीय सैनिकों को 10 से 13 गश्ती पॉइंट्स तक पहुंच को रोकता है जो एक रणनीतिक अड़चन है।

भारत और चीन इस बात पर हुए थे सहमत

बता दें कि देपसांग और डेमचोक के साथ ही लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर 10 और क्षेत्रों को लेकर भारत और चीन इस बात को लेकर सहमत हैं कि ये विवादित क्षेत्र हैं। ये इलाके ट्रिग हाइट्स, चुमार, स्पैंगगुर, माउंट साजुन, डमचेले, चुमार और कोंगका ला आदि हैं।

इंफ्रास्ट्रक्चर में बढ़ोतरी और नए तकनीक

खबरों के मुताबिक गर्मियों के महीनों में उत्तरी सीमाओं पर बुनियादी ढांचे को बढ़ाने पर जोर जारी रहेगा। टैंक और आर्टिलरी गन जैसे भारी हथियारों के साथ ही देश की उत्तरी और पूर्वी सीमाओं में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर नए इजरायली हेरॉन ड्रोन और अन्य स्वदेशी निगरानी उपकरण तैनात किए गए हैं।

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