जो भोगे सो भाग्यशाली…
65 वर्ष की उम्र में एकाकी जीवन जीने वाला एक बुजुर्ग अवसाद (डिप्रेशन) की बीमारी से पीड़ित हो गए। उनको इलाज के लिए मनोचिकित्सक डॉक्टर के पास ले जाया गया।
डॉक्टर : आपके बच्चे क्या करते हैं?
बुजुर्ग : मैने उनकी शादी कर दी और वो सुखी जीवन व्यतीत कर रहे हैं। मेरी पत्नी गुजर चुकी है और मेरे जीवन में कोई खुशी, आनन्द नहीं है।
डॉक्टर : क्या आपकी ऐसी कोई इच्छा है जो पूरी नहीं हुई हो?
बुजुर्ग : मेरी एक ख्वाहिश थी की मैं एक दिन फाइव स्टार होटल में रहूँ।
डॉक्टर: आपके पास संपति कितनी है?
बुजुर्ग : मैं अभी एक फ्लैट में रह रहा हूँ और 1000 मीटर का एक प्लॉट है जिसकी कीमत आज 8 करोड़ रुपया है।
डॉक्टर : क्या आपको कभी ऐसा नहीं लगता है कि ये संपति बेच कर मैं मजे की जिंदगी जीऊँ? अगर मेरी राय मानो तो ये प्लॉट 8 करोड़ में बेच कर 4 करोड़ की दूसरी संपति खरीद लो और बाकी के चार करोड़ खर्च करो।
एक फाइव स्टार होटल में, जिसका रोज का भाड़ा 10,000.00 रुपया हो, उसमें रहने लगो। उसमें आपको स्विमिंग पूल, जिम, विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन मिलेंगे और रोज नए नए लोगों से मुलाकात होगी सो अलग।
हर महीने शहर बदल बदल कर रहो।जितना ज्यादा हो सके, जिंदगी का आनन्द उठाओ। आपको अपने जीवन के प्रति प्रेम पैदा होगा और आप अवसाद (डिप्रेशन) से बाहर आ जाएँगे।
बुजुर्ग ने डॉक्टर की नसीहत मान कर एक फाइव स्टार होटल में 10,000 रुपए के भाड़े वाला कमरा लिया और आनन्द से रहने लगे। उनकी खुशी का कोई पार न था।
73वें साल की उम्र में उनका निधन हो गया। तब तक उनकी 4 करोड़ वाली संपति की कीमत बढ़ कर 8 करोड़ हो गई और खुल कर खर्च करने के बाद भी उनके पास 1.5 करोड़ बचे रह गए।
कहने की जरूरत नहीं है कि उनको अवसाद से पूर्णतया मुक्ति मिल गई और साथ में जीने के अनेक बहाने भी मिलते गए।
शिक्षा : कमाई हुई संपति मरने से पहले खर्च कर लो और आनन्द के साथ बुढ़ापे की जिंदगी जियो। अगर आप कमाए हुए धन का अपने लिए जीते जी उपयोग नहीं करते तो आपका कमाना बेकार है।
जो भोगे वही भाग्यशाली।
शुभेच्छक, सीनियर सिटीजन एसोसिएशन