समग्र समाचार सेवा
ग्रेटर नोएडा, 8 मई। ग्रेटर नोएडा में स्थित शारदा यूनिवर्सिटी अचानक सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गई। कारण है बीए प्रथम वर्ष के इंटर्नल एग्जाम में पूछा गया एक सवाल, जिसकी वजह से शारदा यूनिवर्सिटी पर ‘हिंदू विरोधी’ होने के आरोप लग रहे हैं। यही नहीं अब इस विवाद में भाजपा नेता विकास प्रीतम सिन्हा भी शामिल हो गए हैं। मामला बढ़ता देख यूनिवर्सिटी प्रशासन हरकत में आया और इस क्वेश्चन पेपर बनाने वाले शिक्षक को सस्पेंड कर दिया गया। साथ ही पूरे मामले की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है।
क्या है पूरा मामला, यहां समझें?
शारदा यूनिवर्सिटी में इंटर्नल परीक्षाएं चल रही हैं। 6 मई को यहां बीए प्रथम वर्ष के पॉलिटिकल साइंस विषय का एग्जाम था। इस एग्ज़ाम में एक सवाल पूछा गया जिसमें फासीवाद, नाजीवाद और दक्षिणपंथी हिंदुओं में समानताओं के बारे में लिखने के लिए कहा गया था। इस क्वेश्चन पेपर की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर भी वायरल हो गई। वायरल तस्वीर के मुताबिक क्वेश्चन पेपर के प्रश्न 6 में लिखा है। “क्या आप फासीवाद, नाज़ीवाद और दक्षिणपंथी हिंदू (हिंदुत्व) के बीच कोई समानता पाते हैं? तर्कों के साथ लिखें।”
विकास प्रीतम सिन्हा ने यूनिवर्सिटी को आड़े हाथों लिया
क्वेश्चन पेपर के वायरल होने के बाद भाजपा नेता विकास प्रीतम सिन्हा ने यूनिवर्सिटी को आड़े हाथों लेते हुए ट्वीट कर लिखा।“यूनिवर्सिटी का नाम ‘शारदा’ पर कृत्य देखिए कि परीक्षा में छात्रों को ‘हिन्दुत्व’ को अनिवार्य रूप से फासी और नाजीवाद के समकक्ष सिद्ध करने के लिए कहा जा रहा है। यह प्रश्नपत्र कथित रूप से किसी मुस्लिम शिक्षक द्वारा बनाया गया है।
पूरे मामले पर यूनिवर्सिटी ने क्या कहा?
मामले को बढ़ता देख यूनिवर्सिटी प्रशासन ने बयान जारी कर सफाई दी है। साथ ही मामले में उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है। यूनिवर्सिटी ने कहा कि “सोशल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर वायरल हो रहे बीए प्रथम वर्ष के पॉलिटिकल साइंस के एक क्वेश्चन को यूनिवर्सिटी ने संज्ञान में लिया है। विश्वविद्यालय को दुख है कि ऐसी घटना हुई जो सामाजिक मतभेद को बढ़ावा दे सकती है। मामले की गंभीरता को देखते हुए यूनिवर्सिटी प्रशासन ने तीन वरिष्ठ सदस्यों की एक टीम गठित की है जो पूरे मामले की जांच करेगी और जल्दी ही पूरे मामले पर रिपोर्ट देगी।”