
त्रिदीब रमण
’अंधेरों के घने सफर में एक जुगनू आकर ऐसे लिपट गया है मुझसे कहीं
धू-धू कर जले हैं बुरे सपने एक फरिश्ता आकर जैसे मिला है मुझसे यहीं’
पीके ’डिनाइल मोड’ में हैं, पर आप इस चतुर सुजान के सियासी स्वांगों में मत उलझिए, गांधी परिवार से बकायदा पीके के तार अब भी उतनी ही शिद्दत से जुड़े हैं। मुमकिन है कि आने वाले दिनों में आपको पीके का नया इकबालिया बयान सुनने को मिले कि ’वे कांग्रेस ज्वॉइन करने के लिए और कांग्रेस के लिए काम करने के लिए फिर से तैयार हैं।’ वैसे पुराने कांग्रेसी जो गांधी परिवार के ’हाईटेंशन वॉयर’ में अपनी कटिया फंसा कर दस जनपथ से अपनी प्रदीप्त आस्थाओं का स्वांग रच रहे हैं और पीके विरोध का खटराग अलाप रहे हैं आने वाले दिनों में यही दिग्विजय सिंह, रणदीप सुरजेवाला, मुकुल वासनिक, एके एंटोनी जैसे नेता आपको बैकफुट पर कदमताल करते नज़र आ सकते हैं। गांधी परिवार से जुड़े सूत्रों के दावों पर अगर यकीन किया जाए तो पीके की 8 घंटे की वह प्रेजेंटेशन फिजूल नहीं जाने वाली। राहुल गांधी ने पीके की नसीहतों को अमल में लाना शुरू कर दिया है। जैसा कि पीके ने अपनी प्रेजेंटेशन में कहा था कि ’कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष और विधानमंडल के नेता अलग-अलग होने चाहिए, कांग्रेस के पार्लियामेंटेरियन बोर्ड और पार्टी अध्यक्ष का जिम्मा भी एक व्यक्ति के पास नहीं होना चाहिए,’ कमलनाथ का आनन-फानन में विधानमंडल के नेता पद से इस्तीफा मांग लिया गया, वे प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी हैं। पीके ने अपनी प्रस्तुति में कहा था कि ’हरियाणा कांग्रेस की बागडोर भूपिंदर सिंह हुड्डा को सौंपनी चाहिए और हिमाचल में वीरभद्र सिंह के परिवार यानी उनकी पत्नी या पुत्र में किसी को फेस बनाए बगैर वहां पार्टी का कोई वजूद नहीं।’ पीके ने कांग्रेस को यह भी सलाह दी है कि ’कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्यों को राज्यसभा का आसरा छोड़ सीधे लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहिए, इससे पार्टी कैडर मजबूत होगा।’ इसके अलावा पीके ने 550 से ज्यादा जिलों को चिन्हित किया है और कहा है कि कांग्रेस को इन जिलों में अपना पूरा संगठन ही बदल देना चाहिए। संगठन में ज्यादा से ज्यादा युवा चेहरों को महत्व मिलना चाहिए। सियासत में कुछ भी स्थाई नहीं, पल-पल चेहरे बदलती सियासत अक्सर वैसे किरदारों की तलाश में रहती हैं जो उसे अपने में आत्मसात कर सके, मुमकिन है आने वाले दिनों में पीके एक बार फिर से आपको कांग्रेस के आंगन में दिखें, मीडिया से यह कहते हुए कि ’मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है?’
पीके पर फैसला कब तक?
सोनिया गांधी पीके पर फैसला उदयपुर में 13 मई से 15 मई के बीच संपन्न होने वाले त्रिदिवसीय चिंतन शिविर के बाद कभी भी ले सकती हैं। माना जाता है कि पीके की सलाह पर ही सोनिया ने जी-23 गुट के अंसतुष्ट नेताओं से खुद सीधी बात की और गुलाम नबी आजाद, मनीष तिवारी, मुकुल वासनिक जैसे नेताओं को इस चिंतन शिविर के लिए महती जिम्मेदारियां सौंपने का काम किया, जिससे वे इस बैठक में राहुल पर सीधा हमला न बोल सकें। इसके बाद पार्टी मंच पर पीके के सुझावों पर खुल कर बहस हो सकती है। कांग्रेस से जुड़े सूत्र दावा करते हैं कि पीके का कहना है कि फिलहाल कांग्रेस की बागडोर गांधी परिवार से इतर किसी नेता के हाथों में सौंपनी चाहिए। यूपीए का नया अध्यक्ष भी कांग्रेस की बजाए किसी सहयोगी दल से होना चाहिए। शरद पवार को इसके लिए एक मुफीद चेहरा बताया गया है। सोनिया गांधी पीके की उस मैराथन प्रेजेंटेशन से काफी प्रभावित हैं और वह चाहती हैं कि इस रिपोर्ट को लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ पीके की एक गहन मंथन बैठक हो, जिस बैठक में एक बार फिर से गांधी परिवार की भी उपस्थिति रहे।
नड्डा गुजरात में
पीएम मोदी की नसीहतों को अमल में लाते भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पिछले कुछ समय से गुजरात के अहमदाबाद में ही अपना डेरा डंडा जमा रखा है। इस शुक्रवार को वे पार्टी के अहमदाबाद मुख्यालय ’कमलम’ में डटे रहे और वहां वे सात सौ से ज्यादा पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से मिले। अगले दिन उन्होंने गुजरात यूनिवर्सिटी के कन्वेंशन सेंटर में 7 हजार से ज्यादा लोगों को संबोधित किया। सबसे खास बात तो यह है कि नड्डा से मिलने जितने भी भाजपा विधायक पहुंचे कमोबेश सबको यही चिंता सता रही थी कि राज्य की जनता के जेहन में कोरोना काल की त्रासद यादें अब भी जिंदा है, वे जनता में किन मुद्दों को लेकर जाएं कि उनके मन में आशा की कोई नयी जोत जगा सकें। ज्यादातर विधायक पार्टी की चुनावी रणनीति से रूबरू होना चाहते थे, नड्डा ने उन्हें समझाया कि गुजरात चुनाव को लेकर पार्टी के दोनों दिग्गज मोदी और शाह के पास कुछ खास योजनाएं हैं, जिनका खुलासा वे जल्द ही करेंगे। नड्डा का यह भी कहना था कि गुजरात भाजपा की राजनीति की प्रयोगशाला है, हम यहां हमेशा नंबर वन ही रहेंगे, चुने हुए जनप्रतिनिधियों को चुनाव में जनता के बीच केंद्र और राज्य सरकार के अच्छे कामों को लेकर जाना है। समझा जाता है कि रविवार, 1 मई को ही मोदी गुजरात के चुनाव अभियान का श्रीगणेश करने वाले हैं, मोदी के निशाने पर गुजरात का पाटीदार समुदाय (सरदार धम) हैं, पीएम मोदी एक मई को यानी आज के दिन ही ग्लोबल पाटीदार ‘बिजनेस समिट’ को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से संबोधित करने वाले हैं। इसके बाद गुजरात में पार्टी के चरणबद्द बैठकों का दौर शुरू होने वाला है।
बोम्मई पर अपनों का हमला
बासवराज बोम्मई ने जब से कर्नाटक की बागडोर संभाली है, वे विरोधियों से कहीं ज्यादा अपनी ही पार्टी के निशाने पर रहे हैं। ताजा मामला बासनगौड़ा पाटिल यतनाल का है, जिनकी बरसों से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नज़र रही है। यतनाल पूर्व में भी अपने विवादित बयानों के लिए सुर्खियां बटोरते रहे हैं। वे कर्नाटक में संघ के एक मजबूत आधार स्तंभ रहे हैं, वे राज्य में संघ के महत्वपूर्ण पदों पर भी रह चुके हैं। राज्य के गृह मंत्री अरगा जैनेंद्र भी हमेशा से यतनाल के निशाने पर रहे हैं। पिछले सप्ताह यतनाल ने एक अजीबोगरीब बयान देकर सबको चौंका दिया। यतनाल का कहना था कि ’राज्य के कानून व्यवस्था के बेहतर नियंत्रण और प्रबंधन के लिए मुख्यमंत्री को एक अच्छे गृह मंत्री की तलाश का विज्ञापन छपवाना चाहिए।’ यतनाल का यह बयान आते ही विपक्ष बोम्मई पर खासा हमलावर हो गया, बमुश्किल सीएम ने स्थितियां संभाली। पूर्व में भी यतनाल येदुरप्पा के लिए भी ऐसी ही मुश्किलें खड़ी करते रहे हैं, पर संघ में उनके व्यापक असर का कमाल है कि आज तक कोई भी उनका बाल बांका नहीं कर पाया।
क्या राजस्थान की कमान पायलट को मिलेगी?
कांग्रेस के संगनात्मक चुनाव समाप्त होने के बाद या फिर गुजरात चुनाव के बाद कम से कम दो कांग्रेस शासित राज्यों में क्षत्रपों को बदला जा सकता है। कांग्रेस से जुड़े सूत्र खुलासा करते हैं कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अभी से बता दिया गया है कि उन्हें अब अपनी ताकत कांग्रेस संगठन को मजबूत करने में झोंकनी है। कहते हैं पार्टी ने एक तरह से साफ कर दिया है कि गुजरात चुनाव की पूरी बागडोर गहलोत को ही संभालनी है, इसीलिए गहलोत के बेहद खासमखास डॉ. रघु शर्मा को गुजरात का प्रभारी बना कर भेजा गया है। वैसे भी गहलोत का अपने पड़ोसी राज्य गुजरात में खासा दखल और असर है। अशोक गहलोत सार्वजनिक तौर पर पहले ही कह चुके हैं कि उन्होंने अपना इस्तीफा सोनिया गांधी को पहले से सौंप रखा है, वो जब चाहें उनका इस्तीफा स्वीकार कर सकती हैं। सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस हाईकमान सचिन पायलट को कम कर आंकने की गलती नहीं कर सकता है, उसे सूचना है कि सचिन को कम से कम कांग्रेस के दो दर्जन विधायकों का समर्थन हासिल है। सो, माना जाता है कि सचिन से सोनिया ने कह दिया है कि उन्हें बहुत जल्दी राजस्थान की जिम्मेदारी मिलने वाली है इसके लिए वे तैयार रहें। वहीं छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस अपनी कमान बदलने की कवायद कर सकती है। माना जाता है कि सोनिया ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से भी संगठन में आने को तैयार रहने को कहा है। वैसे भी छत्तीसगढ़ में बघेल और सिंहदेव के दरम्यान जो ढाई-ढाई साल के फार्मूले पर सहमति बनी थी, भूपेश बघेल अपने ढाई साल का टर्म पहले ही पूरा कर चुके हैं। कहते हैं सोनिया से आश्वासन मिलने के बाद ही टीएस सिंहदेव ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि ‘उनका भाजपा में शामिल होने का कोई इरादा नहीं है।’
एक अनार सौ बीमार
राज्यसभा को लेकर कांग्रेस में एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति पैदा हो गई है। कांग्रेस के वे तमाम नेतागण जिन्होंने पिछले काफी समय से लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ा है, ये सभी राज्यसभा के दावेदारों में शुमार हो गए हैं। जैसे मुकुल वासनिक, जिन्होंने 2020 में वकील रवीना खुराना से शादी रचाई। कहते हैं वासनिक ने जब अपनी पत्नी को पहली बार सोनिया से मिलवाया तो रवीना ने उस पहली मुलाकात में सोनिया से अपने पति के लिए राज्यसभा की डिमांड कर दी थी, यह कहते हुए कि दिल्ली में इन दोनों के पास रहने के लिए कोई घर नहीं। कांग्रेस के कई अन्य वरिष्ठ नेता जैसे आनंद शर्मा, तारिक अनवर, केसी वेणुगोपाल और राजीव शुक्ला भी टकटकी लगाए बस राज्यसभा की बाट जोह रहे हैं।
…और अंत में
लखीमपुर खीरी जेल का बैरक नंबर 20 इन दिनों एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। और हो भी क्यों न, इस बैरक को दुल्हन की तरह सजाया गया है, नया गद्दा, नई चादर, बैरक की गर्मी शांत करने के लिए इसमें एक नहीं, चार-चार कूलर लगाए गए हैं। इस बैरक में एक बार फिर से 24 अप्रैल से केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के पुत्र आशीष मिश्रा इसकी शोभा बढ़ा रहे हैं। जेल प्रशासन अपनी ओर से इन्हें पूरा वीआईपी ट्रीटमेंट दे रहा है, सुबह की चाय, दिन का खाना, रात का डिनर सब आशीष के लिए उनके घर से आ रहा है। लंच-डिनर के लिए समय की भी कोई पांबदी नहीं। एक गुजराती अखबार ने जेल की यह रिपोर्ट विस्तार से छापी है।
(एनटीआई-gossipguru.in)