समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 31 मार्च। कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने गुरुवार को लोकसभा में मनरेगा स्कीम को लेकर सरकार पर हमला बोला। उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी पर उनका नाम लिए बिना ही तंज कसते हुए कहा कि कुछ लोग इस स्कीम की आलोचना करते थे। कुछ साल पहले इस स्कीम का मजाक बनाया गया था, लेकिन कोरोना काल में इसके चलते करोड़ों गरीबों को समय पर मदद मिल पाई।
कई लोगों ने कुछ साल पहले मजाक उड़ाया था
उन्होंने कहा, ‘मनरेगा स्कीम का कई लोगों ने कुछ साल पहले मजाक उड़ाया था। लेकिन इसके कोरोना काल में जब लॉकडाउन लगा तो करोड़ों गरीबों को समय पर मदद पहुंचाने का काम किया। इसने सरकार को बचाने में सकारात्मक भूमिका अदा की।’
मनरेगा स्कीम के बजट आवंटन में कटौती पर भी सवाल खड़ा किया
इसके साथ ही सोनिया गांधी ने मनरेगा स्कीम के बजट आवंटन में कटौती पर भी सवाल खड़ा किया। उन्होंने कहा, ‘मैं केंद्र सरकार से मांग करती हूं कि मनरेगा स्कीम के लिए बजट का आवंटन किया जाए। काम के 15 दिनों के भीतर मजदूरों के खातों में इसकी पेमेंट पहुंच जानी चाहिए। यदि किसी भी तरह की देरी होती है तो फिर उन्हें इसकी क्षतिपूर्ति करननी चाहिए।’
मनरेगा स्कीम में भ्रष्टाचार की ओर भी ध्यान दिलाया
सोनिया गांधी ने मनरेगा स्कीम में भ्रष्टाचार की ओर भी ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों से कहा जाना चाहिए कि उनके सालाना प्लान तब तक अप्रूव नहीं होंगे, जब तक कि वे सोशल ऑडिट नहीं कराते हैं। सोनिया गांधी ने कहा कि मनरेगा स्कीम के कामों के ऑडिट के लिए लोकपाल की नियुक्ति करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस स्कीम का सोशल ऑडिट होना चाहिए, लेकिन पेमेंट रोककर गरीब मजदूरों को सजा नहीं दी जानी चाहिए।
मोदी सरकार ने शुरुआत में स्कीम की अलोचना की थी
सोनिया गांधी ने कहा कि यूपीए सरकार की इस स्कीम की पीएम नरेंद्र मोदी ने शुरुआती दौर में आलोचना की थी। हालांकि इसके बाद यह स्कीम लगातार जारी रही और कोरोना काल में लोगों को इससे तत्काल रोजगार गांवों में मिल सका था। खासतौर पर यूपी और बिहार में इस स्कीम ने कोरोना काल में गरीबों की मदद करने का काम किया था।
पीएम मोदी ने कहा था- यूपीए की विफलता का स्मारक है मनरेगा
मनरेगा आपकी विफलताओं का जीता-जागता स्मारक है। आजादी के 60 साल के बाद भी यह स्थिति है तो इससे पता चलता है कि कांग्रेस ने गरीबी को खत्म करने के लिए किस तरह से काम किया था। आप लोगों से गड्ढे खुदवाते हैं और फिर उसके बदले में उन्हें पैसे देते हैं। मैं इस स्कीम को बंद नहीं करने वाला हूं, गाजे-बाजे के साथ इसे जारी रखूंगा।