दिव्य सेवा प्रेम मिशन के कार्यक्रम में शामिल हुए राष्ट्रपति, कहा- 25 साल की यादें ताजा हो गईं

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समग्र समाचार सेवा

देहरादून, 27 मार्च। राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द रविवार को हरिद्वार में दिव्य सेवा प्रेम मिशन के रजत जयंती के समापन समारोह में शामिल हुए। इस दौरान राष्‍ट्रपति ने कहा कि इस मिशन के साथ 25 साल की मेरी यादें ताजा हो रही हैं। कभी मैंने भी कल्पना नहीं की थी कि आशीष जी में सेवा की जो संकल्पना है, वह इस रूप में साकार होगी। कहा कि आशीष गौतम ने प्रयागराज से 25 साल पहले हरिद्वार आकर सेवा की नींव रखी, यह आसान काम नहीं था। उन्होंने सेवा की एक मिसाल कायम की है।

सेवा के बीज का रोपण करने में मेरी छोटी सी भूमिका: राष्‍ट्रपति‍

मुझे यहां आकर प्रसन्नता हो रही है, सेवा के बीज का रोपण करने में मेरी छोटी सी भूमिका रही है, वह आज वट वृक्ष बन चुका है। कहा कि राज्यसभा सांसद बनने के बाद मेरी पहली यात्रा हरिद्वार की हुई, राष्ट्रपति बना तो उत्तराखंड आने पर सबसे पहली यात्रा हरिद्वार में मिशन की इस भूमि पर हुई।

उत्तराखंड की पावन भूमि की महिमा अनंत

उत्तराखंड की पावन भूमि की महिमा अनंत है। प्राचीन काल से लोग यहां धर्म और अध्यात्म के लिए आते रहे हैं। हरिद्वार भगवान विष्णु और शंकर दोनों की प्राप्ति का स्थान है। पतित पावनी गंगा इसकी साक्षी व मोक्षदायिनी भी है। उत्तराखंड की इस पावन धरती की महिमा अनन्य है, प्राचीन काल से ही लोग इस पवित्र भूमि पर पहुंचकर शांति और ज्ञान प्राप्त करते थे। मां गंगा के इस पवित्र परिक्षेत्र में आकर भारत की अतुलनीय आध्यात्मिक परंपरा को मैं बार-बार नमन करता हूं।

अज्ञानता आधुनिक युग में भी विद्यमान

उन्होंने कहा कि आध्यत्म के मार्ग पर चलते हुए दिव्य प्रेम सेवा मिशन की स्थापना की गई। स्वतंत्रता के बाद हमारे संविधान ने अश्पृश्यता का अंत किया। लेकिन सदियों से चली आ रही कुष्ठ रोगियों के प्रति मानसिक अश्पृश्यता आज भी चली आ रही है। अज्ञानता आधुनिक युग में भी विद्यमान है। अनेक गलत फहमियां समाज में फैली हुई हैं। इनको खत्म करने के लिए दिव्य प्रेम सेवा मिशन के कार्य की मैं सराहना करता हूं। कुष्ठ रोगियों के साथ भी वैसा ही व्यहवार होना चाहिए, जैसा किसी भी सामान्य व्यक्ति के साथ होता है।

महात्मा गांधी ने स्वयं अपने कुष्ठ रोगी मित्र की सेवा की

राष्ट्रपति ने कहा कि संसद में दिव्यांग व्यक्तियों का अधिकार अधिनियम पारित किया गया है। 2016 के अधिनियम के तहत अन्य दिव्यांगजनों की तरह कुष्ठ रोगियों को इनकी श्रेणी में शामिल किया गया। 1932 में जेल यात्रा के दौरान महात्मा गांधी ने कुष्ठ रोग से पीड़ित अपने मित्र को संदेश भेजा था कि शरीर बीमार होता है, लेकिन आप शरीर नहीं, आत्मा हैं। जेल से आकर महात्मा गांधी ने स्वयं अपने कुष्ठ रोगी मित्र की सेवा की। महात्मा गांधी का जन्मदिन राष्ट्रीय कुष्ठ रोग दिवस के रूप में मनाया जाता है। कुष्ठ रोगियों का उपचार, उनके बच्चों के लिए शिक्षा की व्यवस्था और कौशल विकास केंद्र जैसे कार्य सराहनीय हैं। उत्कृष्ट सेवा कार्य के लिए मिशन के संस्थापक और उनके सभी सहयोगियों को मैं बधाई देता हूं।

इस मिशन में हम कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं: सीएम

कार्यक्रम में मुख्‍यमंत्री पुष्‍कर सिंह धामी भी मौजूद रहे। इस दौरान उन्‍होंने कहा कि वह सैनिक पुत्र हैं और सैनिक कभी सेवानिवृत्त नहीं होता। कहा कि मैं उत्तराखंड के 1.25 करोड़ वासियों की ओर से राष्ट्रपति व सभी अतिथियों का स्वागत करता हूं। सेवा के इस मिशन में हम कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं।

देवभूमि व संतों की नगरी हरिद्वार में स्वागत: राज्यपाल

राज्यपाल गुरमीत सिंह ने राष्ट्रपति का देवभूमि व संतों की नगरी हरिद्वार में स्वागत किया। उन्‍होंने कहा कि यहां पहुंच कर दिव्य अनुभूति हो रही है। संत ही अंत तक मानवता की रक्षा करते हैं। दिव्य प्रेम सेवा मिशन का यह रजत जयंती काल स्वर्णिम है, 25 वर्षों की सेवा और निष्ठा छुपी हुई है। आशीष गौतम का मिशन स्वामी विवेकानंद के मिशन नर सेवा नारायण सेवा को चरितार्थ करता है। उन्होंने दिव्य प्रेम को चुना और उसे अपना विजन और मिशन बनाया। कुष्ठ पीड़ितों की सेवा जैसे मुश्किल कार्य को चुना और लोगों की धारणा बदलने का कार्य किया। रविवार को सुबह करीब 11 बजे वह पत्‍नी के साथ भेल हैलीपेड पहुंचे। यहां से वह सड़क मार्ग से कार्यक्रम स्‍थल के लिए रवाना हुए। इस दौरान सीएम पुष्कर सिंह धामी, हरिद्वार सांसद रमेश पोखरियाल निशंक, रानीपुर भेल विधायक आदेश चौहान व डीएम विनय शंकर पांडेय ने उनका स्‍वागत किया। हरिद्वार में दिव्य सेवा प्रेम मिशन के कार्यक्रम में भाग लेने के बाद राष्ट्रपति दिल्ली लौट गए।

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