फिर से ‘सेंचुरी’ मारेगा पेट्रोल, जानिए कितनी कीमत बढ़ाना चाहती हैं तेल कंपनियां

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समग्र समाचार सेवा

नई दिल्ली, 8 मार्च। सोमवार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल  की कीमत सोमवार को 14 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। भारत में भी पेट्रोल सेंचुरी मारने को बेताब है। अमेरिका और उसके सहयोगी देश यूक्रेन पर हमला करने वाले रूस से तेल के आयात पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहे हैं। इससे कच्चे तेल की कीमत में उबाल आ रहा है। कारोबार के दौरान यह 130 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गया था जो जुलाई 2008 के बाद इसका उच्चतम स्तर है। इससे देश में पेट्रोल-डीजल की कीमत में आने वाले दिनों में बढ़ोतरी हो सकती है।

देश में आखिरी बार चार नवंबर को बदलाव हुआ था

देश में पेट्रोल और डीजल की कीमत में आखिरी बार चार नवंबर को बदलाव हुआ था। तब कई शहरों में पेट्रोल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर के पार पहुंच गई थी। ऐसे में उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने एक्साइस ड्यूटी और वैट में कमी की थी। तब कच्चे तेल की औसत कीमत 81.5 डॉलर प्रति बैरल थी। दिल्ली में अभी पेट्रोल की कीमत 95.41 रुपये और डीजल की कीमत 86.67 रुपये प्रति लीटर है।

क्यों नहीं बदली कीमत

उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों को देखते हुए पेट्रोल-डीजल की कीमत में चार महीने से कोई बदलाव नहीं हुआ है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में आखिरी चरण का मतदान सोमवार को संपन्न हो चुका है। माना जा रहा है कि अब पेट्रोल और गैस की कीमत में तेजी आ सकती है। दिवाली के बाद से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमत करीब 125 डॉलर प्रति बैरल पहुंच चुकी है। यानी इसमें 45 डॉलर का इजाफा हो चुका है।

हर लीटर पर करीब 20 रुपये नुकसान

जानकारों के मुताबिक कच्चे तेल की कीमत में एक डॉलर की बढ़ोतरी से पेट्रोल-डीजल की कीमत में 50 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी होती है। इस तरह तेल कंपनियों को हर लीटर पर करीब 20 रुपये नुकसान हो रहा है। तेल कंपनियों में इस बात पर सहमति है कि पेट्रोल-डीजल की कीमत में चरणबद्ध तरीके से प्रति लीटर पांच से छह रुपये की बढ़ोतरी की जानी चाहिए। इससे उपभोक्ताओं पर अचानक इसका बोझ नहीं पड़ेगा। फिलहाल तेल कंपनियों को प्रति लीटर 12 रुपये का बोझ झेलना पड़ेगा।

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