समग्र समाचार सेवा
गुवाहाटी, 12 फरवरी। ऑल असम इंजीनियर्स एसोसिएशन ने (एएईए) ऑटोमोबाइल क्षेत्र में हरित ईंधन के उपयोग के लिए जागरुकता अभियान चलाया है। एएईए देशभर में ऑटोमोबाइल उपयोगकर्ताओं को हरित ईंधन की ओर अग्रसर करने हेतु प्रतिबद्ध है। संगठन ने इस क्षेत्र में केंद्र व राज्य सरकार की पहल को सराहना करते हुए कहा कि आने वाले समय में हरित ईंधन एक महत्वपूर्ण भूमिका में है। इस कार्यक्रम में एएईए के अध्यक्ष एर कैलाश सरमा, कार्यकारी अध्यक्ष एर नवा जे ठाकुरिया और सचिव एर इनामुल उपस्थित रहे।
प्रदूषण के स्तर में आएगी गिरावट
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी वाहनों के लिए इथेनॉल मिश्रित ईंधन की वकालत करते रहे हैं। हाल ही में मंत्री ने देश में कार निर्माताओं से बड़े पैमाने पर फ्लेक्स-फ्यूल इंजन पेश करने को कहा। उन्होंने तर्क दिया कि इथेनॉल मिश्रित गश्त सस्ता होगा और इससे वायु प्रदूषण में भारी कमी आएगी।
कच्चे तेल, गैस व अन्य पेट्रोलियम उत्पादों को आयात करता है भारत
भारत आज कच्चे तेल, गैस और अन्य पेट्रोलियम उत्पादों के आयात के लिए सालाना लगभग आठ लाख करोड़ रुपये खर्च करता है और पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने इथेनॉल, मेथनॉल, बायो-डीजल, संपीड़ित प्राकृतिक गैस, हरे रंग के उपयोग के साथ राशि को कम करने का फैसला किया है।
किसानों को भी मिलेगा भरपूर लाभ
संगठन ने कहा कि पेट्रोल-चालित इंजनों में इथेनॉल (जिसे एथिल अल्कोहल या ग्रेन अल्कोहल भी कहा जाता है) का उपयोग किसानों को आर्थिक रूप से फायदा पहुंचाएगा। क्योंकि अनाज, गन्ना, भांग, गुड़, आलू, आदि जैसे कृषि उत्पादों से ज्वलनशील कार्बनिक और रंगहीन यौगिक तैयार किया जाता है। वर्तमान में भारत में अधिकतम 9 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल उपयोग में है।
असम सरकार को व्यावहारिक फ्लेक्स-ईंधन नीति तैयार करनी चाहिए
एएईए ने मांग की है कि “असम सरकार को एक व्यावहारिक फ्लेक्स-ईंधन नीति तैयार करनी चाहिए ताकि स्थानीय किसानों को पहल से अधिक लाभ मिल सके। उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा से आग्रह किया है कि कृषि वैज्ञानिकों, योग्य इंजीनियरों और अन्य हितधारकों के विचारों से इस क्षेत्र में क्रांति लाई जा सकती है।