समग्र समाचार सेवा
मुंबई, 11 फरवरी। स्किन टू स्किन टल मामले में फैसला सुना कर चर्चा में आईं जज पुष्पा गनेडीवाला ने इस्तीफा दे दिया है। बांबे हाई कोर्ट में अतिरिक्त न्यायाधीश के तौर पर 12 फरवरी को ही उनके सेवाकाल का अंतिम दिन होता, लेकिन उससे एक दिन पहले वीरवार को ही उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उनके इस्तीफे की वजह का पता नहीं चल सका है।
इस्तीफे के पीछे सेवा विस्तार वजह
माना जा रहा है कि अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में सेवा विस्तार नहीं मिलने और सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम में जगह नहीं मिलने के कारण उन्होंने इस्तीफा दिया है। न्यायमूर्ति गनेडीवाला वर्तमान में बांबे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ की अध्यक्षता कर रही हैं। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है।
जानें, क्या है स्किन टू स्किन टल मामला
छेड़छाड़ के एक मामले में आरोपित को जमानत देते हुए जज पुष्पा गनेडीवाला ने कहा था कि त्वचा से त्वचा (स्किन टू स्किन) का संपर्क नहीं हुआ है। इसलिए पाक्सो एक्ट के तहत इसे यौन हिंसा नहीं माना जा सकता। इस फैसले की देशभर में आलोचना हुई थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस फैसले पर रोक लगा दी थी।
कौन हैं जस्टिस गनेडीवाला
जस्टिस गनेडीवाला का जन्म महाराष्ट्र में अमरावती जिले के परतवाडा में तीन मार्च, 1969 को हुआ था। वह अनेक बैंकों और बीमा कंपनियों के पैनल में अधिवक्ता रही थीं। उन्हें 2007 में जिला न्यायाधीश के तौर पर सीधे नियुक्त किया गया था और 13 फरवरी, 2019 को बांबे हाई कोर्ट की अतिरिक्त न्यायाधीश के तौर पर प्रोन्नत किया गया था। सुप्रीम कोर्ट के तीन सदस्यीय कोलेजियम में प्रधान न्यायाधीश के साथ ही जस्टिस एनवी रमना और आरएफ नरीमन भी शामिल हैं।
दिए थे ये विवादित फैसले
– जस्टिस गनेडीवाला ने 12 वर्षीय एक बच्ची के अंग विशेष को छूने के आरोपित व्यक्ति को पिछले दिनों बरी कर दिया था और कहा था कि आरोपित ने त्वचा से त्वचा का संपर्क नहीं किया था।
– इससे कुछ दिन पहले उन्होंने व्यवस्था दी थी कि पांच साल की बच्ची के हाथों को पकड़ना और ट्राउजर की जिप खोलना पाक्सो कानून के तहत यौन अपराध नहीं है।
– दो अन्य फैसलों में जस्टिस गनेडीवाला ने नाबालिग लड़कियों से दुष्कर्म के आरोपित दो लोगों को बरी कर दिया था और कहा था कि पीड़िताओं की गवाही आरोपितों पर आपराधिक जवाबदेही तय करने का भरोसा पैदा नहीं करती।