*अवधेश सिंह
अमेरिका के ख्याति प्राप्त चिकित्सा वैज्ञानिक और वहाँ के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के सलाहकार डॉक्टर एंथनी फौसी ने हाल ही में दावा किया है कि ओमिक्रॉन से लगभग हर इंसान संक्रमित होगा। कोरोना वायरस का यह वैरिएंट भले ही माइल्ड है, लेकिन इसकी रफ्तार अब बेकाबू हो चुकी है। प्रति दिन बढ़ने वाले आंकड़ों के हवाले से यदि अभी की स्थित देखें तो दुनिया में बीते 24 घंटे में 36.87 लाख नए संक्रमितों की पुष्टि हुई है। नए संक्रमितों के मामले में अमेरिका 5,60 लाख मरीजों के साथ टॉप पर है, जबकि 3.90 लाख मामलों के साथ फ्रांस दूसरे नंबर पर है। वहीं, 2.35 लाख नए मामलों के साथ भारत तीसरे नंबर पर है।
अवगत हो कि यह दिसंबर का पहला सप्ताह था कि अचानक बोत्सवाना और दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिकों ने दुनिया को तेजी से फैलने वाले SARS-CoV-2 के नए वेरिएंट के बारे में सचेत किया है, जिसे अब ओमिक्रोन के नाम से जाना जाता है, लेकिन तब तक लगभग 20 से अधिक देशों में ओमिक्रोन की पुष्टि हो गई। इस बीच 15 दिसंबर को जिनेवा में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ओमिक्रोन के ब्लू प्रिंट पर संस्करण से संबंधित उभरते डेटा की समीक्षा करने के लिए एक परामर्श का आयोजन किया जिससे यह निष्कर्ष निकला कि डेल्टा की तुलना में तीन गुने से ज्यादा संक्रामण फैलाने की क्षमता रखने वाला यह (SARS-CoV-2 B.1.1.1.529 Omicron ) ओमिक्रोन वैरिएंट से बचाव के लिए लोगों को कोविड अनुरूप व्यवहार पर गंभीर होना पड़ेगा । हाँगकाँग यूनिवर्सिटी की ओर से की गई रिसर्च में सामने आया है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट कोरोना के डेल्टा स्वरूप के मुकाबले हवा में 70 गुना तेजी से बढ़ता है। यह वैरिएंट हवा में ही खुद की नकल तैयार कर लेता है और फिर तेजी से लोगों को संक्रमित करता है।
हालांकि लगातार निगरानी करने वाली चिकित्सकीय और खोज से जुड़ी संस्थाओं ने कहा कि ओमिक्रोन वेरिएंट (Omicron Variant) डेल्टा वेरिएंट से कम घातक है। बताया गया कि जिन लोगों को कोरोना की दोनों वैक्सीन लगी है उनमें संक्रमण का खतरा उन लोगों की तुलना में कम है जिन्हें वैक्सीन नहीं लगी है। इसका मुख्य कारण लोगों की नेचुरल इम्यूनिटी का कमजोर होना बताया गया है। हालांकि अभी कुछ दिन पहले 21 जनवरी को दक्षिण अफ्रीकी शोधकर्ताओं ने कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रोन से पीड़ित मरीजों पर अध्ययन कर कहा है कि इससे भविष्य में इस रोग की घातकता में कमी आएगी और लोगों को जानलेवा डेल्टा विषाणु के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करेगा। शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि जिन्हें पहले डेल्टा विषाणु का संक्रमण हुआ था, वे ओमिक्रोन संक्रमण से ग्रस्त हो सकते हैं लेकिन वैक्सीन लगवा चुके ओमिक्रोन पीड़ित मरीजों को बाद में डेल्टा संक्रमण नहीं हो सकता है।
अफ्रीका स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक एलेक्स सिगल ने इन नतीजों पर प्रतिक्रिया करते हुए कहा इसका मतलब यह है कि डेल्टा समाप्ति की राह पर है क्योंकि अगर लोग वैक्सीन लगवाते हैं और ओमिक्रोन संक्रमण के बाद उनमें डेल्टा संक्रमण नहीं देखा गया है। लेकिन जिन लोगों को वैक्सीन नहीं लगी है और उनमें ओमिक्रोन संक्रमण हुआ है तो उनमें डेल्टा के खिलाफ प्रतिरक्षा विकसित नहीं देखी गई है। उन्होंने एक ट्वीट में कहा कि हमारे शोध में इस बात की जानकारी मिली है कि ओमिक्रोन संक्रमण से ग्रस्त मरीजों को डेल्टा संक्रमण से इम्युनिटी हासिल हो जाती है।
इस अध्ययन में दक्षिण अफ्रीका में 23 लोगों के नमूनों का इस्तेमाल किया गया जो नवंबर और दिसंबर में ओमिक्रॉन से संक्रमित थे। इस शोध में कुछ प्रतिभागियों का टीकाकरण नहीं हुआ था, जबकि अन्य को फाइजर या जॉनसन एंड जॉनसन के टीके लगे हुए थे। जिन लोगों को पहले कोरोना वैक्सीन लगी हुई थी उनमें ओमिक्रोन से लड़ने वाले एंटीबाडीज की संख्या 13.7 गुना ज्यादा थी लेकिन बिना टीका लगे लोगों में यह मात्र 4.4 गुना ही पाई गई थी। वैक्सीन लगे लोगों में डेल्टा वायरस को निष्प्रभावी करने की क्षमता में 6.6 गुना बढी पाई गई थी लेकिन बिना वैक्सीन वाले प्रतिभागियों में केवल 2.5 गुना ही पाई गई है। वैज्ञानिको ने कहा कि टीका लगवा चुके प्रतिभागियों में ओमिक्रोन वायरस के की तुलना में डेल्टा के खिलाफ एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली देखी गई थी लेकिन बिना टीका लगे लोगों में ऐसा नहीं था। इससे यह निष्कर्ष है कि ओमिक्रोन डेल्टा की तुलना में कम घातक है और यही संकेत मिलता है कि इससे कोविड के मामलों में कमी हो सकती है।
इस अध्ययन का समर्थन करते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि ओमिक्रोन ने उन लोगों में डेल्टा के खिलाफ सुरक्षा प्रदान की जिन्हें टीका लगाया गया था। उन्होंने ट्वीट किया, टीकाकरण के बाद ओमिक्रोन संक्रमण डेल्टा के खिलाफ भी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। लेकिन बिना टीकाकरण वाले लोगों में यह प्रतिरक्षा उत्पन्न नहीं करता है। इसलिए, संक्रमण से बचने का एकमात्र विकल्प टीकाकरण ही है । लेकिन शोधकर्ताओं ने पहले ये कहा है कि जिन लोगों को पहले डेल्टा संक्रमण हो चुका है उनमें ओमिक्रोन संक्रमण हो सकता है यानि इस बात की पुष्टि होती है कि यह शरीर में डेल्टा के खिलाफ हासिल की गई प्रतिरक्षा को भेदने में सक्षम है। अतः जिस तरह से विश्व के देशों में ओमिक्रोन के मामले डेल्टा की तुलना में अधिक आ रहे हैं और इसकी घातकता भी कम है, उसे देखकर लगता है कि कोविड की मारक क्षमता स्वतः कम हो जाएगी और कोविड -19 के ये संक्रमण व्यक्तियों और समाज के लिए कम घातक हो सकते हैं।
यदि हम भारत की बात करें तो पिछले 24 घंटे में कोविड पाजिटिव दरों में आज 15.8% से 13.39% की गिरावट दर्ज की गयी है पूर्व की भांति ही सजगता और तैयारियों में पिछली चूक और कमियों की लगातार समीक्षा करते रहने के कारण ओमिक्रोन तथा डेल्टा दोनों पर चौतरफा हमला बोलते हुए एक तरफ भारत सरकार ने टीका करण को निजी अस्पतालों या क्लीनिकों द्वारा बिना कोई अवरोध के सबको लगाने के लिए दिशा निर्देश जारी कर दिये हैं उसके लिए दामों पर नियंत्रण के साथ टीकों की अबाध आपूर्ति और वितरण का भी इंतिज़ाम किया है । यह 130 करोड़ लोगों का सामूहिक प्रयास ही कहेंगे कि आज भारत भर में कोविड टीकाकरण कवरेज 164.04 करोड़ खुराक को पार कर गया है। भारत की 95 प्रतिशत पात्र वयस्क आबादी को कोविड वैक्सीन की पहली खुराक दी गई है, जबकि 74 प्रतिशत पूरी तरह से टीका लगाए गए हैं।