प्रदोष व्रत करने से घर में आती है सुख-शांति, शिवजी की अपार कृपा के लिए करें ये कथा

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 14जनवरी। हर महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत कहा जाता है. यह व्रत खास तौर से भगवान शिव के लिए होता है और इसे सही विधि के साथ रखा जाता है. इस दिन शिव परिवार की पूजा करने से शिव जी प्रसन्न होते हैं. बता दें कि इस बार प्रदोष व्रत 15 फरवरी को है और यह इस बार शनिवार के दिन है, इसलिए इसे शनि प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाएगा. ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव के साथ शनि देव की पूजा करने से आपके जीवन में खुशहाली आएगी. चलिए जानते हैं प्रदोष व्रत की कथा क्या है.

प्रदोष व्रत कथा
प्राचीन समय में एक ब्राम्हणी रहती थी, जो पति की मृत्यु के बाद अपना पालन-पोषण भिक्षा मांगकर करती थी. एक दिन जब वह भिक्षा मांग कर लौट रही थी, तो उसे रास्ते में दो बालक दिखे, जिन्हें वह अपने घर ले आई. जब वे दोनों बालक बड़े हो गए तो ब्राह्मणी दोनों बालक को लेकर ऋषि शांडिल्य के आश्रम चली गई. जहां ऋषि शांडिल्य ने अपने तपोबल से बालकों के बारे में पता कर कहा-हे देवी! ये दोनों बालक विदर्भ राज के राजकुमार हैं. गंदर्भ नरेश के आक्रमण से इनके पिता का राज-पाठ छीन गया है.

ब्राह्मणी और राजकुमारों ने विधि-विधान से प्रदोष व्रत किया. फिर एक दिन बड़े राजकुमार की मुलाकात अंशुमती से हुई, दोनों एक-दूसरे को चाहने लगे. तब अंशुमती के पिता ने राजकुमार की सहमति से दोनों की शादी कर दी. फिर दोनों राजकुमार ने गंदर्भ पर हमला किया और उनकी जीत हुई. बता दें कि इस युद्ध में अंशुमती के पिता ने राजकुमारों की मदद की थी. दोनों राजकुमारों को अपना सिंहासन वापस मिल गया और गरीब ब्राम्हणी को भी एक खास स्थान दिया गया, जिससे उनके सारे दुख खत्म हो गए. राज-पाठ वापस मिलने का कारण प्रदोष व्रत था, जिससे उन्हें संपत्ति मिली और जीवन में खुशहाली आई.

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