समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 13 जनवरी। पोंगल त्योहार दक्षिण भारत में धूम-धाम से मनाया जाता है और इस साल 14 से 17 जनवरी को मनाया जाएगा. यह त्योहार दक्षिण भारत में नए साल की तरह मनाया जाता है और यह चार दिनों तक चलता है. दूसरी ओर उत्तर भारत में मकर संक्रांति मनाई जाती है, जिसमें सूर्य उत्तरायण करते हैं. यह अच्छी फसल की मनोकामना के लिए मनाया जाने वाला त्योहार है. इसका पहला दिन भोगी पोंगल के नाम से जाना जाता है, जो इंद्र देव को समर्पित होता है और उनसे अच्छी फसल और बारिश की कामना की जाती है. चलिए जानते हैं पोंगल त्योहार का महत्व क्या है.
जानें कैसे मनाया जाता है पोंगल
यह त्योहार 4 दिनों तक चलता है और इसे खूब धूम-धाम से मनाया जाता है. इसमें तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं और सभी लोग अपने परिवार के साथ मिलकर पूजा करते हैं. लोहड़ी की तरह की पोंगल की पूजा में भी अच्छी बारिश और फसल की प्रार्थना की जाती है.
भोगी पोंगल– इस दिन इंद्र देव की पूजा होती है और कटी हुई फसल की इंडियों को जलाया जाता है. साथ ही लोग प्रार्थना करते हैं कि फसल अच्छी हो.
थाई पोंगल- थाई पोंगल में सूर्य देव की पूजा की जाती है और यह पोंगल का दूसरा दिन होता है.
मट्टू पोंगल- बता दें कि मट्टू पोंगल को तीसरे दिन मनाया जाता है और सभी लोग परिवार के साथ मिलकर बैल और पशुधन की पूजा करते हैं.
कन्या पोंगल- इस दिन की रस्म को कन्नुम या कानु के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन हल्दी के पत्ते पर सुपारी और गन्ने को रख कर खुले में पकवान बनाया जाता है. यह पकवान चावल, दूध,घी, शकर से बनता है और इसका भोग सूर्य देव को अर्पित किया जाता है.
पोंगल का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, 14 जनवरी को पोंगल मनाया जाएगा. ज्योतिषियों का कहना है कि पहले दिन पोंगल की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 2 बजकर 12 मिनट से शुरू है.