कुमार राकेश
पाठशाला बंद है ,
मधुशाला खुली है .
दिमाग़ बंद है ,
दिल कराह रहा है .
जनता सुस्त है ,
सरकार मस्त है.
लोक नशे में है ,
तंत्र मस्ती में .
झूठ
बड़ा है ,
पर सत्य
छोटा है .
हम ज़िंदा
होने की
आस में
मरते
जा रहे है .
वो ज़िंदा करने
की आस दिए,
मारते जा रहे
है ..,
मारते जा रहे है …
मारते जा रहे है …!?!?
कुमार राकेश . नई दिल्ली ,भारत