समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 9 दिसंबर। हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है. प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियाँ होती हैं. जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है. मार्गशीर्ष मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है. इस साल मोक्षदा एकादशी 14 दिसंबर 2021 को मनाई जाएगी. आइए जानते हैं कि मोक्षदा एकादशी कब है , उसकी तिथि क्या है, पारण कब करना है और इसका महत्व क्या है.
मोक्षदा एकादशी शुभ मुहूर्त और पारण का समय
मोक्षदा एकादशी मंगलवार, दिसम्बर 14, 2021 को
पारण (व्रत तोड़ने का) समय – 07:06 ए एम से 09:10 ए एम
एकादशी तिथि प्रारम्भ – दिसम्बर 13, 2021 को 09:32 पी एम बजे
एकादशी तिथि समाप्त – दिसम्बर 14, 2021 को 11:35 पी एम बजे
मोक्षदा एकादशी का कथा
यह कथा भगवान श्रीकृष्ण ने खुद युधिष्ठिर को सुनाई थी. चंपकनगर नाम का एक राज्य था जिसमें एक वैखानस नामक राजा राज्य करता था. वैखानस के राज्य में चारों वेदों के ज्ञाता ब्राह्मण रहते थे. राजा वैखानस को अपना राज्य बेहद प्रिय था. वह अपनी प्रजा को पुत्र की भांति पालन करता था. एक रात राजा को बहुत बुरा सपना आया. उसने देखा कि की उसके पूर्वज नरक में पड़े हैं. यह देखकर वह बहुत दुखी हुआ. वह ब्राह्मणों के पास गया और सपने के बारे में बताया. राजा ने कहा कि उसने सपने में अपने पूर्वजों को नरक में पड़ा देखा था. इससे वह बहुत दुखी है. वो उन्हें नरक से निकालने की गुहार लगा रहे थे. राजा ने ब्राह्मणों से कहा, ‘हे ब्राह्मण देवता! यह देख मुझे बहुत दुख हो रहा है. मैं उन्हें नरक से बाहर निकालना चाहता हूं. इसके लिए मुझे क्या करना चाहिए.’ ब्राह्मणों ने कहा- हे राजन! यहां पास ही में एक ज्ञाता पर्वत ऋषि का आश्रम है जो भूत, भविष्य, वर्तमान के ज्ञाता हैं. वहां आपकी समस्या जरूर हल हो जाएगी.
यह सुनकर राजा वैखानस ऋषि मुनि के आश्रम में गए. वहां जाकर उन्होंने बोला, ‘हे स्वामी, आपकी कृपा से मेरे राज्य में सब कुशल मंगल है. लेकिन मुझे जो स्वप्न आया था उसमें मेरे पितर नरक भोग रहे हैं. मैं कुछ नहीं कर पा रहा हूं. मैं बहुत असहाय महसूस कर रहा हूं. मैं उन्हें नरक से किस तरह निकालूं.’
राजा की बात सुन पर्वत ऋषि ने कहा, ‘महाराज, मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष में जो एकादशी आती है उसका व्रत कीजिए. विधि विधान से पूजा कर दान-पुण्य करें. उस व्रत के प्रभाव से आपके पितर नरक से मुक्त हो जाएंगे.’ जैसा ऋषि मुनि ने कहा था ठीक राजा ने ऐसा ही किया. इस व्रत के प्रभाव से राजा के पितर नरक से मुक्ति पा गए.
मोक्षदा एकादशी का महत्व
मोक्षदा एकादशी का अर्थ है मोक्ष प्रदान करने वाली एकादशी. इस एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्त होता है. आप इस एकादशी के पुण्य लाभ को अपने पितरों को अर्पित करके उनको मोक्ष दिलाने का प्रयास कर सकते हैं. मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही भगवान श्रीकृष्ण ने अजुर्न को गीता का उपदेश दिया था, इसलिए मोक्षदा एकादशी का महत्व और बढ़ जाता है.