समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 13नवंबर। हिंदू धर्म में पूर्णिमा का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है. प्रत्येक वर्ष 12 पूर्णिमाएं होती हैं. जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 13 हो जाती है. कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा या गंगा स्नान के नाम से भी जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन कृतिका में शिव शंकर के दर्शन करने से सात जन्म तक व्यक्ति ज्ञानी और धनवान होता है. इस दिन चन्द्र जब आकाश में उदित हो रहा हो उस समय शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा इन छ: कृतिकाओं का पूजन करने से शिव जी की प्रसन्नता प्राप्त होती है। इस साल कार्तिक पूर्णिमा 19 नवंबर 2021 को मनाई जाएगी।
कार्तिक पूर्णिमा समय
कार्तिक पूर्णिमा शुक्रवार, नवम्बर 19, 2021 को
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – नवम्बर 18, 2021 को 12:00 पी एम बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त – नवम्बर 19, 2021 को 02:26 पी एम बजे
कार्तिक पूर्णिमा का महत्व
कार्तिक माह को हिंदू धर्म का पवित्र माह कहा गया है. कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान-दान की शुरुआत देवउठनी एकादशी से हो जाती है. कार्तिक पूर्णिमा से मांगलिक कार्य आरंभ हो जाते हैं. पुराणों में वर्णन है कि इसी दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था. उसके वध की खुशी में देवताओं ने इसी दिन दीपावली मनाई थी. जिसे देव दीपावली भी कहा जाता है।
कार्तिक पूर्णिमा पर दीपदान की परंपरा भी है. मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पुण्य प्राप्त होता है. शुभ और मांगलिक कार्यों की शुरुआत के लिए भी कार्तिक पूर्णिमा का दिन बेहद अच्छा माना जाता है।
पौराणिक कथा
त्रिपुरासुर ने देवताओं को पराजित कर उनके राज्य छीन लिए थे. भगवान शिव ने इसी दिन त्रिपुरासुर का वध किया था. इसीलिए इसे त्रिपुरी पूर्णिमा या त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. उसकी मृत्यु के बाद देवताओं में उल्लास था. इसलिए देव दिवाली कहा गया. देवताओं ने स्वर्ग में दीये जलाए थे।