समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 24अक्टूबर। इस साल अहोई अष्टमी का त्योहार 28 अक्टूबर 2021 को मनाया जाएगा। अहोई अष्टमी का व्रत करवा चौथ के चार दिन बाद रखा जाता है। करवा चौथ के समान अहोई अष्टमी का दिन भी कठोर उपवास का दिन होता है और बहुत सी महिलाएँ पूरे दिन जल तक ग्रहण नहीं करती हैं। आकाश में तारों को देखने के बाद ही उपवास को तोड़ा जाता है। अहोई अष्टमी के दिन माताएँ अपने पुत्रों की भलाई के लिए उषाकाल (भोर) से लेकर गोधूलि बेला (साँझ) तक उपवास करती हैं। साँझ के दौरान आकाश में तारों को देखने के बाद व्रत तोड़ा जाता है। इस दिन संतान की लंबी आयु की कामना करते हुए तारों की पूजा की जाती है. आइए जानते हैं इस व्रत के दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं।
अहोई अष्टमी की पूजा विधि
अहोई का अर्थ अनहोनी को को होनी बनाना होता है। इस दिन अहोई माता की पूजा की जाती है। अहोई अष्टमी का व्रत दिनभर निर्जल रहकर किया जाता है। अहोई माता का पूजन करने के लिए महिलाएं तड़के उठकर मंदिर में जाती हैं और वहीं पर पूजा के साथ व्रत प्रारंभ होता है और शाम को पूजा करके कथा सुनने के बाद ये व्रत पूरा किया जाता है। कई जगह ये व्रत चंद्र दर्शन के बाद भी खोला जाता है।
इस दिन महिलाएं शाम को दीवार पर अहोई माता का चित्र बनाती हैं और उसके आसपास सेई व सेई के बच्चे भी बनाती हैं। कुछ लोग बाजार में कागज के अहोई माता के रंगीन चित्र लाकर उनकी पूजा भी करते हैं। कुछ महिलाएं पूजा के लिए चांदी की एक अहोई भी बनाती हैं, जिसे स्याऊ कहते हैं और उसमें चांदी के दो मोती डालकर विशेष पूजन किया जाता है।
तारे निकलने के बाद अहोई माता की पूजा शुरू होती है। पूजन से पहले जमीन को साफ करके, पूजा का चौक पूरकर, एक लोटे में जल भरकर उसे कलश की तरह चौकी के एक कोने पर रखते हैं और फिर पूजा करते हैं। इसके बाद अहोई अष्टमी व्रत की कथा सुनी जाती है।
अहोई अष्टमी व्रत में इन बातों का रखें खास ख्याल
– इस दिन अहोई माता की पूजा करने से पहले गणेश भगवान की पूजा करें.
– अहोई अष्टमी का व्रत तारों को देखकर खोला जाता है. इस दिन तारों के निकलने के बाद उनकी पूजा की जाती है.
– इस दिन कथा सुनते समय 7 प्रकार के अनाज अपने हाथ में रखें. पूजा के बाद यह अनाज गाय को खिला दें.
– अहोई अष्टमी के व्रत पूजा करते समय बच्चों को साथ में जरूरी बैठाएं और अहोई माता को भोग लगाने के बाद वो प्रसाद अपने बच्चों को जरूर खिलाएं.