संदीप ठाकुर
भारतीय जनता पार्टी के सांसद वरुण गांधी पार्टी छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं ? उनके बदले तेबर देख लगता ताे यही है। पिछले कुछ दिनों से वरुण गांधी किसानों के हक़ की बात करने लगे हैं। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट में भी कई अहम बदलाव किए हैं। अपने प्रोफाइल के बायो में वरुण ने सिर्फ पीलीभीत सांसद लिखा है। इसके पहले उनके बायो में भारतीय जनता पार्टी का नाम भी लिखा रहता था। वरुण ने इससे पहले भी कई ऐसे बयान दिए हैं जो पार्टी की आइडियोलॉजी से मेल नहीं खाते हैं। आखिर वरुण गांधी ऐसा क्यों कर रहे हैं ? क्या वे पार्टी छोड़ने के लिए खुद काे मानसिक तौर पर तैयार कर रहे हैं ?
वरुण गांधी के कई कथन हैं जो उन्हें शक के दायरे में ला खड़ा करती हैं। आंदोलनकारी किसानों के प्रति दिए जा रहे उनके बयान पार्टी की सोच से मेल नहीं खाते। ताजा मामला लखीमपुर खीरी का है। सांसद वरुण गांधी ने सीएम योगी आदित्यनाथ को खत लिखकर लखीमपुर खीरी हिंसा की सीबीआई जांच और पीड़ित परिवारों को दिए गए मुआवजे काे कम बताते हुए एक करोड़ रुपये मुआवजे की मांग की है। साथ ही वरुण ने किसानों को शहीद करार दिया है। पिछले कुछ महीनों में ऐसे कई मौके आए हैं जब वरुण गांधी ने अपने ट्विटर हैंडल से बगावती बयान दिए हैं। कुछ दिनों पहले वरुण गांधी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिखा था जिसमें गन्ने का रेट ₹400 प्रति क्विंटल तक करने की मांग की थी। हालांकि बाद में वरुण गांधी ने यूपी सरकार का आभार भी जताया था कि उन्होंने साढ़े ₹350 प्रति क्विंटल गन्ने के दाम किए हैं। फिर बाद में एक और ट्वीट करते हुए उन्होंने इसमें ₹50 जोड़ने की मांग कर दी थी। इससे पहले मुजफ्फरनगर में हुई महापंचायत को लेकर वरुण ने किसानों का समर्थन कर अपनी ही सरकार को असहज कर दिया। किसान आन्दोलन लगभग पिछले 10 महीनों से चल रहा है। लंबे समय तक चुप रहने के बाद वरुण गांधी का किसानों के समर्थन में बात करना और चिट्ठी लिखना उन्हें शक के दायरे में खड़ा करता है।
आखिर वरुण गांधी किस बात से खफा हैं ? वे अपनी ही पार्टी और सरकार से नाराज दिख रहे हैं? वरुण गांधी ताे बीजेपी के फायरब्रांड नेता कहलाते थे लेकिन फिर भी वे पार्टी से धीरे-धीरे साइड लाइन क्यों होते गए ? या गांधी परिवार से जुड़े होने के कारण उन्हें सुनियोजित तरीके से साइड लाइन कर दिया गया ? कुछ माह पूर्व हुए कैबिनेट विस्तार में वरुण गांधी की भी चर्चा हो रही थी लेकिन उन्हें शामिल नहीं किया गया। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में मेनका गांधी को भी कैबिनेट पद से हटा दिया गया। 2019 के लोकसभा चुनाव में ही वरुण गांधी के टिकट कटने की चर्चा हो रही थी।
हालांकि बाद में उन्हें पीलीभीत से मेनका गांधी की जगह टिकट दिया गया। जबकि मेनका ने सुल्तानपुर सीट से चुनाव लड़ा। ये तमाम तथ्य इस बात की ओर संकेत कर रहे हैं कि शायद उन्हें इस बार टिकट न मिले। वरुण को भी इस बात की आशंका है। फिर जब वह पार्टी लाइन से अलग जाकर ट्वीट करते हैं तो भी उन्हें भाजपा के अंदर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलती है। उनकी मां मेनका गांधी की भी पार्टी में कोई कद्र नहीं है। इन सब वजहों से छटपटाहट होना लाजिमी है। यही कारण है कि भाजपा सांसद वरुण गांधी पिछले कुछ महीनों से पार्टी से अलग हटकर अपनी विचारधारा पेश कर रहे हैं। वे लगातार बीजेपी को चुनौती दे रहे हैं, वह भी ऐसे मौके पर जब अगले साल यूपी में विधानसभा चुनाव हैं। इसे देखते हुए ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही है कि वरुण गांधी आने वाले समय में भाजपा को बड़ा झटका दे सकते हैं।