सुप्रीम कोर्ट ने 40 से अधिक किसान संगठनों व राकेश टिकैत समेत कई नेताओं से मांगा जवाब, दिल्ली की सड़को को बाधित करने का लगा आरोप
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 4 अक्टूबर। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 43 किसान संगठनों और उनके विभिन्न नेताओं राकेश टिकैत, दर्शन पाल और गुरनाम सिंह समेत अन्य को हरियाणा सरकार के उस आवेदन पर नोटिस जारी किए हैं, जिसमें आरोप लगाया गया है कि वे दिल्ली की सीमाओं पर सड़कों की नाकेबंदी का मुद्दा हल के लिए राज्य पैनल के साथ बातचीत में शामिल नहीं हो रहे हैं। पीठ ने मामले में अगली सुनवाई के लिए 20 अक्टूबर की तारीख तय की है।
हरियाणा सरकार ने नोएडा निवासी मोनिका अग्रवाल की जनहित याचिका में आवेदन दिया है। जनहित याचिका में नाकेबंदी को हटाए जाने का अनुरोध करते हुए कहा गया है कि पहले दिल्ली पहुंचने में 20 मिनट लगते थे और अब दो घंटे से भी अधिक समय लग रहा है और दिल्ली सीमा पर यूपी गेट पर विरोध प्रदर्शन के कारण क्षेत्र के लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
जस्टिस एस के कौल और जस्टिस एम एम सुंदरेश की पीठ ने आवेदन का संज्ञान लेते हुए नोटिस जारी करने और इसे दस्ती भी तामील करने का आदेश दिया. पीठ ने सवाल किया, ” श्री मेहता (सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता), आपने करीब 43 लोगों को पक्षकार बनाया है. आप उन तक नोटिस कैसे भेजेंगे.” मेहता ने कहा कि किसानों के नेतागण इस मामले में आवश्यक पक्ष हैं और वह सुनिश्चित करेंगे कि उन लोगों पर नोटिस की तामील हो. मेहता ने याचिका पर शुक्रवार यानी 8 अक्टूबर को सुनवाई का अनुरोध किया।
राज्य की ओर से पेश मेहता ने कहा कि हरियाणा ने प्रदर्शन कर रहे किसान नेताओं के साथ बातचीत के लिए एक समिति का गठन किया है लेकिन किसान नेताओं ने बातचीत में भाग लेने से इनकार कर दिया है।
हरियाणा ने अपनी याचिका में कहा कि किसानों के संगठनों के साथ बातचीत करने के लिए 15 सितंबर, 2021 को राज्य स्तरीय एक पैनल का गठन किया गया था. लेकिन उन्होंने 19 सितंबर को बातचीत के लिए आगे आने से इनकार कर दिया।
मेहता ने अनुरोध किया था कि अदालत को याचिकाकर्ता को याचिका में किसान संगठनों को पक्ष बनाने की अनुमति देनी चाहिए, ताकि बाद में वे यह नहीं कह सकें कि उन्हें इस मामले में पक्ष नहीं बनाया गया था। पीठ ने मेहता से कहा था कि उन्हें ही किसानों के प्रतिनिधियों को पक्षकार बनाने के लिए आवेदन दाखिल करना होगा, क्योंकि किसी निजी व्यक्ति को यह नहीं मालूम होगा कि उनके नेता कौन हैं।