समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 16 सितम्बर। संक्रांति वह दिन है जब सूर्य एक राशि का चक्र पूरा करके दूसरी राशि में प्रवेश करता है. जब सूर्य, सिंह राशि से कन्या राशि में प्रवेश करता है, तो वह दिन कन्या संक्रांति कहलाती है. कन्या संक्रांति के दिन पूर्वजों के लिए कई प्रकार के दान, श्राद्ध पूजा और अनुष्ठान किए जाते है. इस साल कन्या संक्रांति 17 सितंबर 2021 को मनाई जाएगी. कन्या संक्रांति पर बहुत से लोग दान, स्नान और अपने पितरो की आत्मा की शांति के लिए पूजन आदि भी करते है. संक्रांति के दिन पवित्र जलाशयों में स्नान करना बहुत शुभ माना जाता है.
कन्या संक्रान्ति पुण्य काल मुहूर्त : कन्या संक्रान्ति शुक्रवार, सितम्बर 17, 2021 को
कन्या संक्रान्ति पुण्य काल – प्रातः 06:07 से दोपहर 12:15, अवधि – 06 घण्टे 08 मिनट्स
कन्या संक्रान्ति महा पुण्य काल – 06:07 प्रातः से 08:10 प्रातः, अवधि – 02 घण्टे 03 मिनट्स
कन्या संक्रान्ति का क्षण – 01:29 प्रातः
कन्या संक्रांति का महत्व :
कन्या संक्रांति का अपना महत्व है. इस दिन लोग स्नान, दान आदि करते हैं. इतना ही नहीं, इस दिन लोग अपने पित्रों की आत्मा की शांति के लिए पूजा आदि भी करवाते हैं. संक्रांति के दिन पवित्र जलाशयों आदि में स्नान करने को भी काफी शुभ माना गया है. इसलिए लोग कोशिश करते हैं कि वे संक्रांति के दिन गंगा जी या किसी अन्य जलाशय में डुबकी जरूर लगाएं. इतना ही नहीं, इस दिन विश्वकर्मा पूजन भी किया जाता है. ये पूजन उड़ीसा और बंगाल के कई क्षेत्रों में किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि देव विश्वकर्मा भगवान के इंजीनियर हैं, जिन्होंने देवों के महल और शस्त्र आदि का निर्माण किया था. बता दें कि भगवान विश्वकर्मा इस ब्रह्मांड के रचियता हैं. ऐसा माना जाता है कि भगवान ब्रह्मा के कहने पर ही विश्वकर्मा ने ये दुनिया रचाई थी. द्वारका से लेकर भगवान शिव के त्रिशुल तक को भगवान विश्वकर्मा द्वारा रचाया गया था.