समग्र समाचार सेवा
हल्द्वानी, 16 सितंबर। देश में ऐसे लापरवाह औऱ भ्रष्ट अधिकारियों की कमी नहीं होने जो किसी को जीते जी मृत घोषित कर दे। ऐसे एक नही कई मामलें मिल जाएगे। ऐसा ही एक उदाहरण है उत्तऱाखंड के हल्द्वानी में। यहां अधिकारियों नें एक जीवित व्यक्ति को मृत घोषित कर दिया और उसका डेथ सर्टीफिकेट भी जारी कर दिया।
बुधवार को नैनीताल रोड स्थित कैंप में जिलाधिकारी गर्ब्याल ने जनता दरबार लगाया। इस दौरान भावना देवी निवासी गोरापड़ाव ने प्रार्थना पत्र सौंप कर बताया कि वह जीवित है कि जबकि उन्हें 18 साल पहले वर्ष 2003 में मृत घोषित कर डेथ सर्टिफिकेट बना दिया गया। इस पर जनता दरबार में मौजूद अधिकारी भी दंग रह गए। उन्होंने एसडीएम को इस प्रकरण की जांच कर कार्रवाई के निर्देश दिए। 80 वर्षीय मथुरा दत्त पंत ने बताया कि उनका बेटा रविंद्र पंत प्रताड़ित करता है। इस पर डीएम ने एसडीएम को जांच कर कार्रवाई की मांग की है। इस दौरान अपर जिलाधिकारी हरवीर सिंह, सिटी मजिस्ट्रेट ऋचा सिंह, उप जिलाधिकारी मनीष कुमार, ईई जलसंस्थान एसके श्रीवास्तव, लोनिवि ईई अशोक कुमार आदि मौजूद थे
जीवित होने पर भी प्रार्थीनी को 2003 से मृतक घोषित किया गया है जबकि प्रार्थीनी जीवित है। प्रार्थीनी ने गोविन्द बल्लभ के खिलाफ कार्यवाही करने का अनुरोध किया। जिस पर जिलाधिकारी ने उपजिलाधिकारी को जांच कर तत्काल कार्यवाही करने के निर्देश दिये।
मथुरादत्त पंत निवासी आवास विकास ने अवगत कराया कि मेरी उम्र 80 वर्ष की हो गई है मेरा पुत्र रविन्द्र पंत उसे उत्पीडित करता है तथा एक कमरे में बिना रोशनदान एवं खिडकी के साथ रहने को मजबूर है। जिस पर जिलाधिकारी ने उपजिलाधिकारी को जांच कर कठोर कार्यवाही करने के निर्देश दिये। जगदीश चन्द्र निवासी ओखलकांडा देवली ने प्रार्थना पत्र मे अवगत कराया कि अप्रैल मे कोविड 19 हो गया था मैं बाम्बे हास्पिटल मे भर्ती था मेरे पास आयुष्मान कार्ड भी था लेकिन आयुष्मान कार्ड को स्वीकार नही किया गया।
अस्पताल ने मेरा बिल एक लाख नब्बे हजार बना दिया है। जिस पर जिलाधिकारी ने मुख्य चिकित्साधिकारी को चिकित्सा प्रतिपूर्ति प्राधिकरण से धनराशि दिलाने के निर्देश दिये।