उज्जैन स्वर्ग है जानते हैं क्यों ?

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समग्र समाचार सेवा
उज्जैन, 30अगस्त। मध्य प्रदेश एक मात्र स्थान जहाँ शक्तिपीठ भी है, ज्योतिर्लिंग भी है, कुम्भ महापर्व का भी आयोजन किया जाता है ।

  • यहाँ साढ़े तीन काल विराजमान है:-   “महाँकाल, कालभैरव, गढ़कालिका और अर्धकाल भैरव।”
  • यहाँ तीन गणेश विराजमान है: –  “चिंतामन,मंछामन, इच्छामन”
  • यहाँ 84 महादेव है,यही सात सागर है।।
  • “ये भगवान कृष्ण की शिक्षा स्थली है।।”
  • ये मंगल ग्रह की उत्पत्ति का स्थान है।।
  • “यही वो स्थान है जिसने महाकवी कालिदास दिए।”

उज्जैन विश्व का एक मात्र स्थान है जहाँ अष्ट चरिंजवियो का मंदिर है,यह वह 8 देवता है जिन्हें अमरता का वरदान है (बाबा गुमानदेव हनुमान अष्ट चरिंजीवि मंदिर)

“राजा विक्रमादित्य ने इस धरा का मान बढ़ाया।।”

विश्व की एक मात्र उत्तर प्रवाह मान क्षिप्रा नदी!!

“इसके शमशान को भी तीर्थ का स्थान प्राप्त है चक्र तीर्थ ।
यहां नौ नारायण और सात सागर है।

भारत को सोने की चिड़िया का दर्जा यहां के राजा विक्रमादित्य ने ही दिया था । इनके राज्य में सोने के सिक्के चलते थे।  सम्राट राजा विक्रमादित्य के नाम से ही विक्रम संवत का आरंभ हुआ जो हर साल चैत्र माह के प्रति प्रदा के दिन मनाया जाता है। उज्जैन से ही ग्रह नक्षत्र की गणना होती है।  कर्क रेखा उज्जैन से होकर गुजरती है।   और तो और पूरी दुनिया का केंद्र बिंदु (Central Point)  महाकाल जी का मंदिर है ।

महाभारत की एक कथानुसार उज्जैन स्वर्ग है।।

यदि आप भी कालों के काल महाकाल के भक्त हैं तो इस संदेश को सभी शिव भक्तों तक पहुंचाए।

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